कब रुकेगा नर संहार

0 0
Read Time2 Minute, 27 Second
dhanraj vaani
कब रुकेगा नरसंहार
खूनी खेल कब रुकेगा
मानवता के आगे,शीश
पापियों का कब झुकेगा
जीने का अधिकार है
चाहे चींटी हो या हाथी
खूनी खंजर रोक लो
चाहे दुश्मन हो या साथी
कोई हाथ जोड़ खड़ा है
कोई शीश झुकाता है
कोई अरदास लगाता
कोई हाथ फैलाता है
न सीमा का बंधन हो
न जाती, धर्म का भेद
जो भी खेले मानवता से
हो जाए फिर वह कैद
इतिहास में भी जंग है
स्वाभिमान से मरते थे
देकर तलवार दुश्मन को
फिर आपस मे लड़ते थे
यह कैसा खेल है यारों
छुप-छुप कर खेल रहे हो
खुले आसमान के पंक्षी
बंद पिंजरे में झेल रहे हो
आज हम है , कल तुम
…कोई बच ना पाएगे
विश्वशांति में कदम बढ़ें
वरना फिर पछताऐंगे
एक कदम हम चले
पीछेचल दिखलाओ तुम
यू ही कारवा बनता चलेगा
शांति दूत बन जाओ तुम
#धनराज वाणी
परिचय– 
श्री धनराज वाणी  ‘उच्च श्रेणी शिक्षक’ हाई स्कूल उबलड विकास खण्ड जोबट जिला अलिराजपुर में 30 वर्षो का सेवाकाल (मूल निवास जोबट)
जन्म स्थान जोबट(मध्यप्रदेश)
पत्नि का नाम -कविता वाणी (प्राचार्य )इनकी भी साहित्य में रुचि व महिला शसक्तीकरण के क्षेत्र में कार्य व आकाशवाणी मे काव्य पाठ किया
2.शिक्षा-एम.ए.बी.एड.(समाजशास्त्र)
3.रुचि-साहित्य व रचनाकार 
विषय-वीरस,चिंतन,देशभक्ति के गीत व कविताओं की रचना
4.उपलब्धियां-आकाशवाणी इंदौर से 7 बार काव्य पाठ किया व स्थानीय,जिलास्तरीय व अखिल भारतीय मंचो से भी  काव्यपाठ किया!
वर्तमान में अर्पण कला मंच जोबट मे साहित्य प्रकोष्ठ का प्रभार है.
5.बचपन से साहित्य के प्रति  रुचि व हिन्दी के प्रति प्रेम

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

स्पर्श

Tue Apr 23 , 2019
पहला पल, पहली घड़ी माँ का आँचल थामा था अजीब सी अनुभूति थी माँ ने भी यह माना था भुला दी तकलीफें सारी अभी-अभी माँ ने झेली थी सकूँन का वह पल था झोली में खुशियाँ खेली थी छलक पड़े आँसू भी नयन जो कल सूखे थे फुट पड़ी दूध […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।