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संवेदना की मृदु धरा पर
शब्द तुमने बो दिए
ताल यह घोषित करेगा
पद्य हो अपद्य हो ॥ १॥
मान हो अपमान हो
या स्वाभिमान कि हो विजै
काल यह घोषित करेगा
लज्ज हो निर्लज्ज हो ||2||
राग हो अनुराग हो या
प्रेम का छ्द्मावरण
भाव यह घोषित करेगा
लिप्त हो निर्लिप्त हो ||3||
शूल होंगे मार्ग में या
पुष्प का होगा सदन
भाग्य यह घोषित करेगा
युक्त हो निर्युक्त हो ||4||
अनंताविरत ……
#मोहन गोड़बोले “साहिल”
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