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वतन की हिफाजत करेंगें सखे।
जतन भी सही हो सुरक्षा रखे।
शहादत करें देश हित मे रहे।
लहू भी हमारा वतन हित बहे।
तिरंगा सदा ही रहेगा गगन।
हमेशा रहे देश के हित मगन।
बहे धार गंगा सदा की तरह।
करे जंग हम ही हमेशा फतह।
तराने लिखूँ मै शहादत भरे।
हमारे लिए वीर हमदम मरे।
भुला दें गिले जो बसे मन रहे।
मनो भाव अपने वतन के बहे।
कटे शीश चाहे मिलें गोलियाँ।
रहे शान माँ की लहू होलियाँ।
यही रीत हमको निभानी सखे।
तिरंगा हमेशा गगन में रखें।
पड़ोसी पिशाची सबक सीखले।
पिटे सोच पहले अगर चीख ले।
मिेटाना जरूरी नशा पाक का।
भरे जब गरूरी घड़ा पाप का।
विनाशी डराएँ पटाखे चला।
विकासी डरे क्यों बताओ भला।
हमारी बिलाई मियाऊँ कहे।
बताओ सखे यों कहाँ तक सहे।
सुनारी कहे चोट खट खट करे।
लुहारी करो पाक झटपट मरे।
भरोे लाल डोरे निगाहों सखे।
तभी स्वाद पापी पिशाची चखे।
रहे देश मेरा अमर कामना।
हमारी रहेगी सदा भावना।
रहे संविधानी रिवाजें वतन।
मिटेंगी उदासी विकासी जतन।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः