मैं स्त्री हूँ,मैं नारी हूँ

1 0
Read Time5 Minute, 33 Second
shivankit tiwari
कितने रंग-रूप,रिश्तों में ढलने की वो कला में माहिर,
कितने जख्मों को सहती पर करती न वो कभी भी जाहिर,
हाँ स्त्री हूँ, हाँ नारी हूँ
पर मैं कोई अभिशाप नहीं,
जिंदा है अभी जज्बात मेरे,
दोहरी छवि की कोई छाप नही,
दया,त्याग,करूणा,साहस की वो अप्रतिम तस्वीर है,
जीती हैं किरदार वो कितने लिखती खुद की तकदीर है,
सहमी-सहमी आहें भरती,
फिर भी मुँह से उफ़ न करती,
जकड़ी हैं जग की जंजीरों में,
खुद को ढँक पर्दे में रहती,
उसके सपनों का भी सोचों अपने सपनें भी न जी पाती,
रोटी पानी की कहानी में जीवन भर उलझी रह जाती,
पैर की जूती उसे समझते उसको बस रहते हैं नचातें,
घटिया सोच के कारण कितने उस पर घटिया इल्जाम लगाते,
हाँ स्त्री हूँ,हाँ नारी हूँ
लेकिन अब सब पर भारी हूँ,
अब अबला नहीं मैं सबला हूँ,
अब क्रांति की मैं चिंगारी हूँ,
अब परिवर्तन की आग हूँ मैं,
ज्वाला सारी की सारी हूँ,
मैं दुर्गा,चंडी और काली हूँ,
दुष्टों का वध करने वाली हूँ,
इस सृष्टि की रखवाली हूँ,
धरती की मैं हरियाली हूँ,
माँ बेटी और बहू के रूप में वो अक्सर ढल जाती हैं,
इन सारे रूपों में रह वो हर घर की लाज बचाती हैं,
नारी हैं विश्वास की अद्भुत एक मिशाल,
प्यार की वो प्रतिमूर्ति है उसका ह्रदय विशाल,
अब मैं सारी बन्दिशों से मुक्त हूँ,
अब मैं हर गम से आजाद हूँ,
चुनौतियों से निपट लेती हूँ अकेले,
खुद की ताकत हूँ और खुद की आवाज हूँ,
हाँ स्त्री हूँ,हाँ नारी हूँ,
पतिव्रता और पवित्रता
का अच्छा धर्म निभाती हूँ,
अब न निर्भर हूँ मैं किसी पे,
खुद मैं संसार चलाती हूँ,
नारी संग मनाते है महिला दिवस विशेष,
फिर क्यों उसके दिल को जीवन भर पहुँचाते है ठेस,
नारी हैं इस जगत में सबसे पूज्य और महान,
नारी हैं इस धरा का अद्भूत अद्वितीय  वरदान,
नारी हैं तो सृष्टि हैं नारी से ही उत्पत्ति और निर्माण
नारी है तो ये जगत है और जग की है पहचान,
पहचानों अब मूल्य नारी का सदा करों सभी सम्मान,
#शिवांकित तिवारी ‘शिवा’
परिचय-शिवांकित तिवारी का उपनाम ‘शिवा’ है। जन्म तारीख १ जनवरी १९९९ और जन्म स्थान-ग्राम-बिधुई खुर्द (जिला-सतना,म.प्र.)है। वर्तमान में जबलपुर (मध्यप्रदेश)में बसेरा है। मध्यप्रदेश के श्री तिवारी ने कक्षा १२वीं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है,और जबलपुर से आयुर्वेद चिकित्सक की पढ़ाई जारी है। विद्यार्थी के रुप में कार्यरत होकर सामाजिक गतिविधि के निमित्त कुछ मित्रों के साथ संस्था शुरू की है,जो गरीब बच्चों की पढ़ाई,प्रबंधन,असहायों को रोजगार के अवसर,गरीब बहनों के विवाह में सहयोग, बुजुर्गों को आश्रय स्थान एवं रखरखाव की जिम्मेदारी आदि कार्य में सक्रिय हैं। आपकी लेखन विधा मूलतः काव्य तथा लेख है,जबकि ग़ज़ल लेखन पर प्रयासरत हैं। भाषा ज्ञान हिन्दी का है,और यही इनका सर्वस्व है। प्रकाशन के अंतर्गत किताब का कार्य जारी है। शौकिया लेखक होकर हिन्दी से प्यार निभाने वाले शिवा की रचनाओं को कई क्षेत्रीय पत्र-पत्रिकाओं तथा ऑनलाइन पत्रिकाओं में भी स्थान मिला है। इनको प्राप्त सम्मान में-‘हिन्दी का भक्त’ सर्वोच्च सम्मान एवं ‘हिन्दुस्तान महान है’ प्रथम सम्मान प्रमुख है। यह ब्लॉग पर भी लिखते हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-भारत भूमि में पैदा होकर माँ हिन्दी का आश्रय पाना ही है। शिवांकित तिवारी की लेखनी का उद्देश्य-बस हिन्दी को वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठता की श्रेणी में पहला स्थान दिलाना एवं माँ हिन्दी को ही आराध्यता के साथ व्यक्त कराना है। इनके लिए प्रेरणा पुंज-माँ हिन्दी,माँ शारदे,और बड़े भाई पं. अभिलाष तिवारी है। इनकी विशेषज्ञता-प्रेरणास्पद वक्ता,युवा कवि,सूत्रधार और हास्य अभिनय में है। बात की जाए रुचि की तो,कविता,लेख,पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ना, प्रेरणादायी व्याख्यान देना,कवि सम्मेलन में शामिल करना,और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पर ध्यान देना है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

नारी

Fri Mar 8 , 2019
नारी माँ है भगवान का अवतार है मेरी  खुशियों  का  वही  आधार है नारी मन कोमल नारी से संसार है नारी बिन कुछ नही सब निराधार है नारी मित्र,अर्धांगिनी,नारी के उपकार है नारी सौंदर्य का रूप,नारी मददगार है नारी शौर्य का रूप,नारी वफादार है नारी से ही जीत है,कभी भी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।