निःस्वार्थ प्रेम दिवस

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aashutosh kumar
वेलेंटाइन डे, अर्थात निः स्वार्थ प्रेम-दिवस क्या प्रेम जिंदा है समाज में या सिर्फ आकर्षण या हवस तक सिमट कर रह गया।आज हम रोम के क्रूर शासक जो तीसरी शताब्दी में वहाँ  विवाह न करने का आदेश दिया उसके खिलाफ संत वेलेनटाईन ने आवाज उठायी बल्कि कईयो की शादी भी करायी थी जिसके कारण उन्हें जेल जाना पडा और अंत मे 14 फरवरी को वेलेंटाईन को फांसी दे दी गई।तभी से इस दिन को निः स्वार्थ प्रेम दिवस के नाम से मनाया जाने लगा।
आज अगर ढूंढा जाय तो कितने लोग निः स्वार्थ मिलेंगे शायद न के बराबर प्रेम प्यार मुहब्बत सिर्फ स्वार्थ की बेदी पर चढने लगे है पार्को मैदानो पिकनीक प्वाइंटो पर जोडे तो मिलते है लेकिन उन जोडो में कितनी को सफल जिंदगी या जीवन मिलता है यह कहने की जरूरत नहीं ।वेलेंटाइन डे पर उपहार देना लेना बुरी बात नही प्यार करने में भी कोई बुराई नही लेकिन निः स्वार्थ भाव से निभाना शायद कठिन है ।
वैसे आज कल के युवा फैशन के आगे अपने आदर्श और मूल सिद्धान्त को तरजीह नही देते यह सोचनीय है।दिल के बजाय सुन्दरता और फैशन पर जल्द आकर्षित होते हैं जो शायद लंबे समय तक न चलने वाला प्यार हो जाता है। अदालतों में तालाक सम्बन्धी मुकदमें का बढ़ता जखीरा इस बात की गवाही चीख-चीख कर दे रहा है कि मनमौजी फैसलो के कारण आज अदालतो में भीड दिन प्रतिदिन बढ रही है।जिसका मूल कारण स्वार्थयुक्त प्रेम है।अगर वह निः स्वार्थ होता तो आज अदालतो में इतनी भीड न होती । कहने का तात्पर्य है कदम वही तक बढने चाहिए जहाँ से सही सलामत घर वापसी हो सके।

प्रेम
—–
प्रेम का रस निः स्वार्थ भला
पीजै तो सब काज प्रियै।

प्रेम की मीठी एहसास भला
महसूस कीजै तो जानू प्रियै।

प्रेम तो त्याग प्रियै
जो त्यागे वही जाने
प्रेम की भाषा मीठा मीठा
प्यार न जाने कडवा बोल प्रियै।

प्रेम का आभास आँखो का
नजरो का है वार प्रियै
प्रेम न दिल का भार
यह तो दिल का आभास प्रियै।

“आशुतोष”

नाम।                   –  आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम –  आशुतोष
जन्मतिथि             –  30/101973
वर्तमान पता          – 113/77बी  
                              शास्त्रीनगर 
                              पटना  23 बिहार                  
कार्यक्षेत्र               –  जाॅब
शिक्षा                   –  ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन                 – नगण्य
सम्मान।                – नगण्य
अन्य उलब्धि          – कभ्प्यूटर आपरेटर
                                टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य   – सामाजिक जागृति

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।