आत्महत्या

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naroliya

वह जिन्दगी में आए उतार-चढ़ाव के थपेड़ों और बढ़ती महंगाई में परिवार के बोझ को सह नहीं पा रहा था। आए दिन उसके जहन में आत्महत्या करने का विचार कोंध जाता,मगर फिर परिवार की जिम्मेदारी और बच्चों के भविष्य के लिए वह हिम्मत जुटाकर जिन्दगी को आगे बढ़ाता चला गया। अंततः, एक दिन उसकी हिम्मत पूरी तरह टूट गई और वह अपनी जेब में सुसाइड नोट लिखे कागज को रखकर रेल्वे स्टेशन की ओर बढ़ गया। यह सोचने लगा कि,किसी रेल के आगे कूद पड़ेगा।
रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की रेलम-पेल में विचारों के द्वंद के साथ वह आगे बढ़ रहा था, अचानक उसकी निगाह एक भिखारी पर पड़ी जिसकी दोनों टांगे कटी हुई थी। वह अपने दोनों हाथ फैलाए लोगों से भीख मांग रहा था-`बाबूजी भगवान के लिए मेरी मदद कीजिए, मेरे बीबी-बच्चे भूखे हैं।’
उसकी करुण सदा सुन उसके पांव वहीं रूक गए। वह सोचने लगा कि, जब यह अपाहिज होकर भी अपने परिवार और बच्चों के लिए जी रहा है तो फिर मैं क्यों नहीं!
वह कुछ पल टकटकी लगाए उस भिखारी को देखता रहा और फिर अपनी जेब से दस रुपए का नोट निकाल उसे देते हुए आगे बढ़ गया। रेलवे स्टेशन से बाहर निकलकर उसने जेब में रखा सुसाइड नोट निकाला, और उसके टुकड़े-टुकड़े कर हवा में उड़ा दिए। अब वह शांति से घर की ओर चल दिया था।

                                                                                         #रविंद्र नारोलिया

परिचय : इंदौर(मध्यप्रदेश) के परदेशीपुरा क्षेत्र में रविंद्र नारोलिया रहते हैं। आपका व्यवसाय ग्राफिक्स का है और दैनिक अखबार में भी ग्राफिक्स डिज़ाइनर के रुप में ही कार्यरत हैं। 1971 में जन्मे रविंद्र जी कॊ लेखन के गुण विरासत में मिले हैं,क्योंकि पिता (स्व.)पन्नालाल नारोलिया प्रसिद्ध कथाकार रहे हैं। आप रिश्तों और मौजूदा हालातों पर अच्छी कलम चलाते हैं।

 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।