शीघ्र न्याय के मंच पर हिंदी में चर्चा की पहल और न्याय के लिए भाषा पर चर्चा

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‘फोरम फॉर फास्ट जस्टिस’ के मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में आज मुझे यह अवसर मिला कि मैं भाषा के कारण देश के नागरिकों पर हो रहे अन्याय की बात रख सकूं। अधिवेशन में देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि पहुंचे हुए थे। इस दो दिवसीय अधिवेशन के मुख्य अतिथि थे भारत के पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त श्री शैलेश गांधी । उन्होंने भारत में न्यायालयों की दशा और न्यायतंत्र में सामान्य नागरिक द्वारा न्याय पाने में आने वाली कठिनाइयों , न्याय में हो रहे विलंब के कारणों और उसके संबंध में सुझान रखे । उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के आंकड़ों को आधार बना कर बताया कि यदि न्यायधीशों के रिक्त पदों को ही भर दिया जाए तो लंबित पड़ेमामलों का काफी हद तक निपटान किया जा सकता है।

अधिवेशन की मुख्य बात यह भी थी कि इसमें ज्यादातर वक्ताओं ने अपनी बात हिंदी में रखी। जॉर्ज फर्नांडिस के भाई ट्रेड यूनियन नेता माईकल फर्नांडीज कर्नाटक से आए थे वे हिंदी नहीं बोल पाए थे । उन्होंने अपनी बात अंग्रेजी में कही। एक सहभागी तमिलनाडु से आए थे, उन्होंने ग्रामीण अदालतों के बारे में अपनी बात तमिल मैं कही । जिस का हिंदी विवरण दिया गया। संस्था के वरिष्ठ पदाधिकारी वेंकट जी जो एक महीने बाद अमेरिका से लौटे थे, वे दक्षिण भारतीय हैं, इसके बावजूद उन्होंने अपनी बात बहुत ही रोचक ढंग से हिंदी में रखी।जनता को शीघ्र न्याय दिलवाने के लिए आयोजित इस अधिवेशन में ज्यादातर प्रतिभागियों से हिंदी में अपनी बात रखने को कहा गया । मैं समझता हूं कि यह भी एक बहुत बड़ी सफलता रही। फोरम से जुड़े लोगों ने कहा कि वे आगे भी अपने मंचों पर न्याय और भारतीय भाषाओं की बात रखने के लिए मुझे आमंत्रित करेंगे।फोरम फॉर फास्ट जस्टिस में भारतीय भाषाओं की प्रतिष्ठापन के कार्य में भाई राजू ठक्कर जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। संस्था का सदस्य न होने पर भी अध्यक्ष श्री भगवानजी राइयानी ने मुझे अपनी बात रखने का थोड़ा समय दिया गया। लेकिन इतने समय में मैं जो भी कह सका उसका जबर्दस्त प्रतिसाद मिला। इस प्रकार मुझे न्याय तंत्र के लोगों के बीच भाषा के कारण हो रहे अन्याय की बात रखने में सफलता मिली।

संस्था से जुड़े अनेक मित्रों ने इस विषय के महत्व को समझते हुए और स्वभाषा के प्रति प्रेम के चलते भविष्य में भारतीय भाषाओं के संघर्ष में पूरा साथ देने की बात कही। यह भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही।

#डॉ. मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।