मातृभूमि पर शीश चढ़ाने अपना सीना तान,
चल-चल रे नौजवान..
माँ का आँचल दुश्मनों ने रक्त रंजित कर दिया,
अनगिनत गोलियों से लहूलुहान कर दिया..
माँ की दुर्दशा देख रो रहा आसमान,
चल-चल रे नौजवान…।
दुश्मनों को गोलियों से भूनकर रख दो,
हाथ जो उठे तो ऊपर,खण्ड-खण्ड कर दो।
हौंसले बुलन्द रखो,चाहे आए तूफान,,
चल-चल रे नौजवान….।
वीरता की नाव पर हो जाओ वीर सवार,
हाथ में थाम लो तुम साहस की पतवार..
कश्मीर की चोटियों में रहे गुंजित बलिदान,
चल-चल रे नौजवान…।
हल्दी घाटी की नदियां शत्रु को दिखला दो,
शिवाजी सम छक्के छुड़ा आकाश को हिला दो..
दुहरा दो इतिहास जन-जन में अभिमान,
चल-चल रे नौजवान….।
आ जाओ कृष्ण,अब चक्र को हाथों में सजा लो,
दानवों के संहार का बीड़ा तुम उठा लो..
दुष्टों का नाश कर बनो धनुर्धर महान..
चल-चल रे नौजवान…।
वीर भोग्या वसुन्धरा अमर पुत्र ही बनना,
दुश्मन के खून से अपना नाम लिखना..
शत्रु के हौंसले पस्त करने ले लो तीर- कमान
चल-चल रे नौजवान…।
#आशा जाकड़
परिचय: लेखिका आशा जाकड़ शिकोहाबाद से ताल्लुक रखती हैं और कार्यक्षेत्र इन्दौर(म.प्र.)है। बतौर लेखिका आपको प्रादेशिक सरल अलंकरण,माहेश्वरी सम्मान रंजन कलश सहित साहित्य मणि श्री(बालाघाट),कृति कुसुम सम्मान इन्दौर,शब्द प्रवाह साहित्य सम्मान(उज्जैन),श्री महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान(शिलांग) और साहित्य रत्न सम्मान(जबलपुर)आदि मिले हैं। जन्म१९५१ में शिकोहाबाद (यू.पी.)में हुआ और एमए (समाजशास्त्र,हिन्दी)सहित बीएड भी किया है। 28 वर्ष तक इन्दौर में आपने अध्यापन कराया है। सेवानिवृत्ति के बाद काव्य संग्रह ‘राष्ट्र को नमन’, कहानी संग्रह ‘अनुत्तरित प्रश्न’ और ‘नए पंखों की उड़ान’ आपके नाम है।
बचपन से ही गीत,कविता,नाटक, कहानियां,गजल आदि के लेखन में आप सक्रिय हैं तो,काव्य गोष्ठियों और आकाशवाणी से भी पाठ करती हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ी हैं।
very good… lajwab