फिल्मो में VFX का बढ़ता चलन  

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edris
भाग–1
यानी
काम किसी और का
शोहरत किसी और कि,,,
दोस्तो आज की चर्चा का उनवान यानी विषय है कि काम किसी और का, शोहरत किसी और को मिले
फिल्मो में बढ़ता चलन VFX और CGI का, उदाहरण के तौर पर आपने बाहुबली-1 फ़िल्म देखी होगी तो उस फिल्म में जो गगन चुम्बी झरना दिखाया गया है जिस पर हीरो प्रभास मशक्कत करके ऊपर पहुचता है, असल मे वहा दृश्य में झरना है ही नही, उसके बजाय हीरो के पीछे बेकग्राउंड में एक नीला या हरा पर्दा लगा होता है जिस पर कम्प्यूटर की मदद से हीरो की अदाकारी को मर्ज कर दिया जाता है जिसके फलस्वरूप एक मनमोहक के साथ खतरनाक दृश्य दर्शको को परोस दिया जाता है, जिससे दर्शक अचम्भित होकर स्वप्न लोक में गोते लगाने लगता है,
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एक सवाल मन मे आ रहा होगा कि यह खर्चीली प्रक्रिया क्यो ?
तो साथियो आधुनिकीकरण आज की अनिवार्यता के साथ आवश्यकता बन गई है,
जब भी कोई ऐसा दृश्य जो खतरनाक हो या असम्भव हो वास्तविकता में, तो उस दृश्य को बनाने के लिए VFX की मदद ली जाती है, और दृश्य निर्देशक की कल्पनाशीलता के अनुरूप बना दिया जाता है,ताकि दर्शको तक निर्देशक की रचनाधर्मिता पहुच जाए,
साथ ही दर्शक आश्चर्यचकित हो कर उस दृश्य में खो जाए
हॉलीवुड फिल्म टाइटेनिक इसका बेहतरीन उदाहरण है,
जहाज़ जो कि समुंदर में डूब गया था लेकिन दोस्तो यह डुबोने वाला दृश्य किसी भी निर्देशक के लिए मुश्किल के साथ असम्भव था फिर भी VFX की मदद से यह दृश्य बना कर इस सपने को साकार रूप दिया गया,,
जुरासिक पार्क में विशालतम डायनोसोर दिखाना जो कि असम्भव ही था (क्योंकि उनकी प्रजाति लाखो साल पहले समाप्त हो चुकी है) तो उन डायनासोर को VFX की मदद से जीवित और चलते फिरते-शिकार करते दिखाया गया जो कि किसी अजूबे से कम नही था,,
2016 में आई फ़िल्म जंगल बुक में कोई जंगल या जानवर असल मे थे ही नही यह पूरी फिल्म साकार हो पाई थी VFX की मदद से,
जितनी भी सुपरहीरोज फिल्मे होती है जैसे सुपर मैन, स्पाइडरमैन, बेटमैन, आयरनमेन, हैरीपॉटर, क्रीश लगभग सभी मे एक बड़ी रकम VFX पर खर्च की जाती है तभी इन फिल्मों के दृश्य दर्शक पचा पाते है,
हॉलीवुड फिल्मों में VFX का बड़ा बजट होता है,
भारत मे एक फ़िल्म चकदे इंडिया, 2007 में आई थी फ़िल्म महिला हॉकी  हमारे राष्ट्रीय हॉकी पर आधारित होकर जिसमे महिलाभारतीय हॉकी दल के विश्व विजेता बनने का सफर था,
अब आपको आश्चर्य होगा कि पूरी फिल्म में हॉकी के कई मैच थे,परंतु हॉकी बॉल कहि पर भी इस्तेमाल नही हुई पूरी फिल्म में हॉकीबॉल VFX से डाली जाकर दिखाई गई थी,,
लाइफ ऑफ पाई , इरफान खान स्टारर फ़िल्म में एक नोजवान शेर के साथ एक नोका में समुंद्र में फस जाता है लेकिन यह समुन्द्रऔर शेर असल मे कहि था ही नही सब VFX से बनाए गए दृश्य थे,
मिशन इम्पॉसिबल सीरीज की एक फ़िल्म में टॉम क्रूज दुबई की अजबुज़ुर्ग इमारत से कूदते दिखाए गए लेकिन असल मे वह दृश्य स्टूडियो में फिल्मांकन होकर कम्प्यूटर पर VFX की मदद से होता हुआ दर्शको तक पहुचा था,,,,
सलमान स्टारर फ़िल्म किक में एक दृश्य था सलमान रेलवे ट्रेक से साईकिल से कूद जाते है और पैदल चलते हुवे निकल जाते है, जिसमे पीछे से ट्रेन आ रही होती है तो साहब यह दृश्य की VFX से ही मुकम्मल हो पाया था इतने उदाहरण पाठकों की समझने के लिए काफी होंगे
दिए एक एक छायाचित्र से आपको VFX समझना आसान होगा,,
दो भाग में लिखने का कारण,
 यह आलेख इस विषय की प्रस्तावना में ही बहुत बड़ा हो गया है, अगले अंक में आपको चुनिंदा कुछ भारतीय फिल्मों से रूबरू करवाऊँगा जिसमे न केवल बॉलीवुड फिल्में होगी वरन दक्षिण भारतीय फिल्मे भी होगी जिसमें शानदार VFX का इस्तेमाल किया गया है,,,
आपके सुझाव का स्वागत रहेगा,,
निरन्तर भाग 2 में ,,,,

#इदरीस खत्री

परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं| इनका परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।