कभी-कभी मुस्कान से दूर तक पहुंच जाना

0 0
Read Time1 Minute, 24 Second

cropped-cropped-finaltry002-1.png

कभी-कभी मुस्कान लिये दूर तक पहुंच जाना,
कभी-कभी प्यार लिये दूर तक आ जाना,
योंही अचानक बढ़ा देना राहों की लम्बाई,
समय को खोल देना सबके लिए दूर तक,
जैसे नदी निकल जाती है दूर
पक्षियां उड़ कर बस जाती हैं दूर,
मनुष्य उजाले में आ जाता है दूर-दूर तक,
बीज पहुंच जाता है एक देश से दूसरे देश,
ऐसे ही प्यार को ले आना दूर-दूर तक।
कभी-कभी मुस्कान ले दूर तक हो आना,
कभी-कभी निडर हो दूर तक आ जाना,
कभी-कभी घर की हँसी को दूर-दूर तक बिखेर देना,
कभी ले जाना मोहक मन को दूर-दूर तक।
असफलता कर लेती है लम्बी यात्राएं,
सफलता को जाना है उससे दूर,
हम हर साल हँसते हैं
मुस्कराते हैं सुन्दर क्षण में,
संतुष्टि से ही बनते हैं अद्भुत पुल
जो जोड़ते हैं फूल को फूल से,
हमने देखा है दूर मुस्कराता आकाश
और उसकी छवि ली है बार-बार,
एक अव्यक्त हँसी के लिए हम जाते हैं दूर-दूर तक बिना पूछताछ के।

#महेश रौतेला

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

मन को शीतलता प्रदान कर गईं कविताएँ...

Sun Apr 28 , 2019
साहित्य मंडल का अनूठा प्रयास : ९० मिनट की खुले वातावरण में कवि गोष्ठी गोंदिया। भीषण गर्मी की तपन, उबा-उबा-सा मन… ‘उफ गर्मी… हाय हाय गर्मी’ का वातावरण और ऐसे में शीतलता की खोज कर आनंदित पल बिताने का एक प्रयास साहित्य मंडल गोंदिया ने शनिवार, २७ अप्रैल २०१९ को […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।