“पतवार”

0 0
Read Time2 Minute, 53 Second

nasrin ali
कैसा यह संसार है  बाबा ,
पैसा है  तो प्यार है  बाबा ||
टूटी हूई पतवार है बाबा ,
और  जाना उस पार है  बाबा ||
पहले यह दुनिया , दुनिया थी ,
अब काला बाज़ार है  बाबा ||
झूठ से जब इज्जत मिलती है |
सच कहना बेकार है  बाबा ||
जिसको जो चाहे  कह  डालो,
कौन यहाँ खुद्दार है  बाबा ||
रोगी  को भगवान बचाये ,
बैध खुद बीमार है  बाबा ||
आओ ‘’निधि‘’ छाता खोले ,
बारिश के आसार है  बाबा ||
मुफ़लिस के बच्चे रोते है ,
क्यों आता त्योहार है बाबा ||
कैसा यह  संसार है  बाबा ,
पैसा है तो  प्यार  है  बाबा ||

#नसरीन अली ‘निधि’

परिचय : नसरीन अली लेखन में साहित्यिक उपनाम-निधि लिखती हैं। जन्मतिथि १० नवम्बर १९६९ और जन्म स्थान-कलकत्ता है। आपका वर्तमान निवास श्रीनगर (जम्मू और कश्मीर)स्थित हब्बा कदल है। निधि की शिक्षा बी.ए. ,डिप्लोमा रचनात्मक कला(पाक कला एवं कला कौशल) है। इनकी सम्प्रति देखें तो हिंदी कम्प्यूटर ऑपपरेटर एवं ध्वनि अभियंता (रेडियो कश्मीर-श्रीनगर) हैं। सामाजिक तौर पर सक्रियता से वादी’ज़ हिंदी शिक्षा समिति(श्रीनगर) बतौर अध्यक्ष संचालित करती हैं। साथ ही नसरीन क्लॉसेस(यूनिट,शासकीय पंजीकृत) भी चलाती हैं। लेखन आपका शौक है, इसलिए एक साहित्यिक पत्रिका की सहायक सम्पादक भी हैं। विशेष बात यह है कि,कश्मीर के अतिरिक्त भारत के विभिन्न अहिंदीतर प्रांतों में मातृभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यरत हैं। नसरीन अली को आकाशावाणी एवं दूरदर्शन श्रीनगर से सफल हिंदी कवियित्री,उदघोषक तथा कार्यक्रम संचालक का सम्मान प्राप्त है। साथ ही अन्य संस्थानों ने भी आपको पाक कला एवं कला कौशल के लिए सम्मानित किया है। लेखन में संत कवयित्री ललद्यत साहित्य सम्मान,अपराजिता सम्मान,हिंदी सेवी सम्मान और हिन्दी प्रतिभा सम्मान भी हासिल हुआ है। आपकी नजर में लेखन का उद्धेश्य-हिन्दी साहित्य के प्रति लगाव,उसके प्रचार-प्रसार,उन्नति,विकास के प्रति हार्दिक रुचि है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

सफर जारी है

Thu Nov 22 , 2018
रास्ते बेदखल ना करदे तुझे , यूँ अकड़ के भी ना चल। ज्यादा हवा में ना उड़,कम से कम आसमाँ को ना छल।। वो  ऊपर  जो  बैठा  है , सब  का  हिसाब लेगा। पौधे  से  गिरे  पत्तो के  अस्तित्व को तू झुठलाता, तू भी गिरेगा नीचे कभी ,खुद को खुदा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।