सितारों की आरजू में शरारे मिले| गौरों से मिलकर देखा हमारे मिले || कैसे यकीन कर ले इस दुनिया पर हम| दुश्मन ही दोस्तों से प्यारे मिले|| छत के नीचे देखो तो सब लगते है अपने| देखा तो हर आँगन में दीवारें मिले|| मरती नही कभी अपनी मौत ये जिंदगी| […]

कैसा यह संसार है  बाबा , पैसा है  तो प्यार है  बाबा || टूटी हूई पतवार है बाबा , और  जाना उस पार है  बाबा || पहले यह दुनिया , दुनिया थी , अब काला बाज़ार है  बाबा || झूठ से जब इज्जत मिलती है | सच कहना बेकार है  […]

सृष्टि में रंगों से ही बहार हैं| प्रत्येक रंग का अपना महत्व तथा प्रकृति है जो कि विभिन्न रोगों को दूर करने में सहायक होती है| रंगों के बिना जीवन की कलप्ना उसी प्रकार व्यर्थ है, जिस प्रकार प्राणों के बिना शरीर की | प्रकाश को जब हम परावर्तित करते […]

एक राष्ट्र विभिन्न भाव एवँ विचारधाराओं एक संग़ठित रूप है और साहित्य उनकी अभिव्यक्ति से बना हुआ शब्दमय चित्र | हमारी जीवंगत विभिन्न सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, राजनौतिक स्थितियों का ही साहित्य में चित्रण होता है | इन्ही से दैनिक जीवन प्रभावित होता है और इन्ही के उत्कर्षोंपकर्ष में राष्ट्र निर्माण […]

ज़ख्मों को मेरे जैसे दवा लगी है, मैं शायर नहीं मगर हवा लगी है। क्या दस्तूर हो गया मेरे शहर का साहिल, कीमती लिबासों में भी नंगी है लड़कियाँ। मुझे जन्नत वाजिब हो गई यकीनन, मैं माँ को कभी रूठने नहीं देता। यूँ मुन्तसिर हो के कुछ हासिल न हुआ […]

बच्चों की आवश्यकताएँ  सर्वव्यापी है , जहाँ उन्हें ज्ञान देने की आवश्यकता है , वही उन्हें सम्मान देने की भी आवश्यकता हैं| उन्हें संस्कारी बनाना है तो उसे सुविचारी भी  बनाना है , उन्हें परम्परा और परिपाटी से परिचित   कराना है तो स्वयं करने और सीखने के मौके को  भी  […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।