कतार

0 0
Read Time1 Minute, 47 Second

vishwajit
एक दिन देखा लोगों की लंबी कतार,
कडी धूप में पसीने से लतपत खडी थी।
किसीके दर्शन के लिए वो बेताब, बेचैन नजरों से इंतज़ार कर रही थी।
हमने गौर से देखा पर कुछ न दिखा।
दिल में एक आस जगी और हो गए उसमें हम भी शामिल।

जब नंबर आया तो देखा के एक मूरत सोने से सजी थी।
अंदर के अंधेरे से जब बाहर निकला तो देखा,
उसी कडकती धूप में,
एक बच्चा नंगा शरीर लिए रो रहा था,
उसके नाक से पानी भी बह रहा था,
उसका देह उस गरम रेत में तप रहा था।

किसीने उसे नहीं देखा।
हमने उसे उठाया,
पेड की छांव में लेजाकर साफ किया।
अच्छे कपड़े पहनाये,
और फिरसे कतार के पास बिठाया।

अब भी उसे किसीने नहीं देखा।
हमने सोचा, “क्या कमी रह गयी है?”
याद आया, इसे भी सोने से मढदो।
अपनी जमां पूंजी बेचकर सोना खरीदा,
उसी प्रकार उसेभी सजाया,
फिरसे कतार के पास बिठाया।
लेकिन आश्चर्य!  अभीभी किसीने नहीं देखा।
फिर हमने हताश होकर तूलना की।
अब मेरे पास सिर्फ़ एक ही रास्ता था,

किसी तरह उस बच्चे को मैं पत्थर बना दूं।

नाम – विश्वजितसिंह दिलीपसिंह चंदेल 

साहित्यिक उपनाम -विदी 

वर्तमान पता – पुणे

राज्य – महाराष्ट्र 

शहर – पुणे 

शिक्षा – BE(Comp sci), MBA(Marketing), MA(English)

विधा – कविता 

लेखन का उद्देश – लेखन ही मेरा उद्देश है। 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

सर्दी और कोहरा

Sun Nov 18 , 2018
सर्दी आई, सर्दी आई चारो ओर घना कोहरा लायी। आग रजाई कम्बल सबके काम आयी। हरी हरी घास पर कोहरे की बूँद पडे फ्रीज पंखा एसी बंद पड़े कपडे फूल पहनो वरना, मम्मी की डांट पडे सर्दी आई, सर्दी आई चारो ओर घना कोहरा लायी। फसलो देखो तैयार खडे खेतो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।