खुदा के फजल से अच्छी-खासी गृहस्थी चल रही थी, पर जब से यह मी टू का वायरस शुरु हुआ है तब से दिल में तूफान मचा पड़ा है। मुझे अपने कालेज के वो पुराने दिन याद आने लगे जिनकी सुनहरी यादें सीने में दफन थी। वैसे कालेज के दिनों में मेरा किसी से लफड़ा-वफड़ा नहीं रहा, हां दो-चार चटकीली-मटकीली तितलियों से मौका पाकर नैन-मटक्का कर लिया करता था। अब दिल में हूक उठ रही है कहीं ऐसा न हो वे नाजनीनें कहीं से टपक पड़े और छाती ठोंक कर कहें यही वह पचास केजी आदमी है, जो आंखें फाड़-फाड ़कर हमारे आस-पास भंवरे की तरह घूमता रहता था। खैर! ये मेरे पूर्व जन्म के पुण्य का संचय है कि अभी तक बीस साल पुरानी वे तितलियां प्रकट नहीं हुइंर् वर्ना अपनी भी इज्जत का इस दिवाली में दिवाला निकल जाता।
अगर ऐसे ही मी टू का लफड़ा चलता रहा तो अभी पता नहीं और कितने नेता, मंत्री, पत्रकार, अभिनेता सब बेभाव निपट जाएं। जिनकी तस्वीरां और पिक्चरों को देखकर हम जुल्फें संवारा करते थे , अब उनके मी टू मिशन से उतरे सारे कपड़े देखकर घिन आने लगी है। नंगई का यह चरित्र अब थोक भाव से सोशल मीडिया में झोकमझोंक चल रहा है। अभी और कितने आदमियों का कितने गुलबदनो के द्वारा गुलकंद बनेगा , यह किसी कच्चे लंगोट वाले को नहीं पता, अब सभी कच्चे लंगोट वालो को दिन-रात खप्पर लिए काली-कपाली नजर आने लगी है। देश में अच्छे दिन तो नहीं आए पर उनके बुरे दिन आने वाले हैं। अब मैं भी सावधान हो गया हूं । हर खूबसूरत चेहरा सती, सवित्री का नहीं होता कुछ सूपनखाएं भी सांप-छछूंदर की तरह सोशल मीडिया में छुछुवाती घूम रहीं हैं। पता चले आज मित्रता करो कल वे चौपाटी पर घूमने के लिए प्रस्ताव भेंज दें और अगर मना करुं तो कहें- अबे! चवन्नी के चिरकुटी लाल नहीं चलोगे तो मी टू का डंडा पेल दूंगी। इसलिए आज से कसम खा लिया है फेसबुक की खूबसूरत हसीनाओं से सौ नहीं हजार कोस दूर । अपनी एक ही मूली पत्तों से भारी है, दूसरी से कौन जान जहमत में डालेगा।
अक्सर बड़े-बड़े अधिकारी और मोटे-ताजे ऊंचे ओहदे वाले नेता मंत्रियों के आगे-पीछे फाइलों की उठा-धरी करने के लिए सेक्रेटरी टाइप की सुंदर फूलझड़ियां छोड़ दीं जातीं हैं। फिर आग और फूस के मेल में, दिलो के खेल में चिंगारी न उठे धुंवा न उठे, असंभव। अब यह चिंगारी कहीं दबा दी जाती है तो कहीं हालातो के साथ समझौता करके खुद-ब-खुद दब जाती है। अब देखना ये है, अमेरिका से आए इस मी टू के वायरस से कितनों की खटिया खड़ी और बिस्तरा गोल होगा, पर यह भी शोध किया जाए कि कहीं कोई सूपनखा किसी भोले-भाले आदमी का लंगोट खींच कर नंगा न कर दे। नंगई का यह अभियान सफाई अभियान की तरह हर गली-कूचे तक पहुंचना चाहिए। तभी यह स्वच्छता अभियान सफल होगा। आमीऩ़!
#सुरेश सौरभ
निर्मल नगर लखीमपुर खीरी