कभी वे सिर पर मैला ढोेने वालो की टोकरियो को दहन करके शासन से उनके लिए रोजगार की मॉग करते हैं , तो कभी सेप्टिक टैंक में मरने वाले मजलूमों की आवाज को आन्दोलन का रूप देते हैं। जी हॉ लखीमपुर जिले के ये दो परवाने चंदन लाल वाल्मीकि और कवि श्याम किशोर बैचेन हैं जो दलितो शोषितो की दबी आवाजों को बुलंद कर रहे हैं । सबसे बड़ी संतोषजनक बात यह है कि इनके कार्यक्रमों में सामाज के सभी वर्ग बढ-चढ कर सहयोग करतें हैं चाहे पत्रकार नंद कुमार मिश्रा, विकास सहाय हो या सौजन्या प्रमुख डॉ उमा कटियार सभी इन अंधड़ आंधी तूफानो से बढ़ते चंदन और बेचैन का समर्थन करतें हैं । दोनों से जब मैं पूछता हूं दलितो वंचितो के समाज के लिए कब तक लड़ेगे वे कहते हैं- जिंदगी भर चाहे इसके लिए मरना ही क्यों न पडे़। संतोष ये है दोनों लोकतांत्रिक तरीके से समाज के उत्थान के लिए लड़ रहे हैं।
#सुरेश सौरभ
निर्मल नगर लखीमपुर खीरी