जीवन में जब बढ़ने लगे वियोग,
अनेक रोग जब कर रहे भोग..
जब शरीर को करना हो निरोग,
तो एक ही रास्ता है योग।
सांसों को जब लगाना हो आयाम,
तो करे मानुष थोड़ा प्राणायम..
आसन से आती सकारात्मकता,
ध्यान से दूर होती नकारात्मक्ता।
जब शरीर को करना हो निरोग,
तो एक ही रास्ता है योग।
अष्टांग योग से शुरू होती योगशाला की कक्षा,
यम नियम आसन प्राणायाम समाधि से रक्षा..
यम का पालन करके मन की होती शुद्धि,
नियम का पालन करके शरीर की शुद्धि।
सरल से कठिन की ओर जाना आसन में,
हर आसन के बाद आना है विश्राम में..
प्राणायाम से श्वांसों में आती लयबद्धता,
प्रत्याहार से इंद्रियों को साधक है साधता।
सरल सहज मन को बनाए अपनी धारणा,
तभी तो योगी में बनती ध्यान की प्रेरणा।
शरीर बने सरल,मिटे सब व्याधि,
योगी तब लगा सकता पूर्ण समाधि..
यही सम्पूर्ण शरीर और अष्टांग का है योग,
तो मानव से निश्चित दूर भागे वियोग॥
#प्रेरणा सेंद्रे इन्दौर
परिचय: में रहती हैं। आपकी शिक्षा एमएससी और बीएड(उ.प्र.) है। साथ ही योग का कोर्स(म.प्र.) भी किया है। आप शौकियाना लेखन करती हैं। लेखन के लिए भोपाल में सम्मानित हो चुकी हैं। वर्तमान में योग शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं।