आज सुबह से ही फ़ेसबुक, व्हाट्सएप, ट्वीटर भरे पड़े है, एक पोस्ट के बाद, लाईक, रिप्लाय और कितने लोगों ने पोस्ट देखी, इस कौतुहल में शाम कब होगी पता ही नही चलेगा। समय-समय की बात है।
सोशल मीडिया, पर बने रहना, आज की जिंदगी में मायने रखता है, लिहाजा आज नीरज , छोटू को लेकर अलसुबह ही निकल पडा।
वृद्धाश्रम में “सुबह”, रोज की तरह सुस्ता रही थी, वॉचमैन से औपचारिकता पूरी करने के बाद नीरज की आंखे पिता को ढूंढ रही थी तभी छोटू ने पिता की उंगली छोड़, दादा जी की और दौड़ लगा दी। मासूम निगाहे , दादाजी को पहचान चुकी थी, लिपटते ही दादा-पोते की आंखे छलछला गई, लाड, दुलार के बीच नीरज ने झटपट मोबाइल निकाला और हर एंगल से पिताजी के साथ सेल्फ़ी, ले ली। हैलो-हाय की औपचारिकता के बाद जैसे ही नीरज ने फ़ोटो अपलोड़ की, देखते ही देखते लाईक का सिलसिला शुरू हो चला था तभी नीरज, छोटू को लेकर घर लौट आया । नीरज की तसल्ली के साथ सोशली आज जन्मदिन, बड़े ही धूमधाम से सम्पन्न हुआ।
परिचय : विजयसिंह चौहान की जन्मतिथि ५ दिसंबर १९७० और जन्मस्थान इन्दौर हैl आप वर्तमान में इन्दौर(मध्यप्रदेश)में बसे हुए हैंl इन्दौर शहर से ही आपने वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ विधि और पत्रकारिता विषय की पढ़ाई की हैl आपका कार्यक्षेत्र इन्दौर ही हैl सामाजिक क्षेत्र में आप सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हैं,तो स्वतंत्र लेखन,सामाजिक जागरूकता,तथा संस्थाओं-वकालात के माध्यम से सेवा भी करते हैंl विधा-काव्य,व्यंग्य,लघुकथा व लेख हैl उपलब्धियां यही है कि,उच्च न्यायालय(इन्दौर) में अभिभाषक के रूप में सतत कार्य तथा स्वतंत्र पत्रकारिता में मगन हैंl