उनसे नजरें क्या मिली,कोई अपना हो गया।
चाहता हूँ में उनको,पर दिल उनका हो गया॥
नजर चुराने के इस खेल में,खुद को हरा बैठे।
दुनिया को जीतकर भी,हम अपने को गँवा बैठे॥
अपने को खोकर, उनको पाकर स्वयं को बिसरा गए।
दिल है दिल चाहता है,दिल में बसेरा कर भुलाते गए॥
हमें खुद को देकर गए वो,खुद में अब वो बस बैठे।
हम हैं नहीं हममें,खुद घुलकर अपने को तरस बैठे॥
उनको पाकर अपने को खोकर,स्पर्श हमें कर गए।
देखा सरसरी नजर से उन्हें,हम स्वयं को रुला गए॥
दिल ने उन्हें चाहकर,अपनी निगाहों से उन्हें देखा था।
देखकर भर गया दिल,आँखों ने अपने को परखा था॥
#सुनील कुमार पारीक ‘शनि’
परिचय : सुनील कुमार पारीक का साहित्यिक उपनाम-शनि हैl आपकी जन्मतिथि-१ दिसमबर १९८९ तथा जन्म स्थान-सिकराली (राजस्थान) है। वर्तमान में आपका निवास राजस्थान राज्य के चुरू जिला स्थित गाँव-बम्बू में हैl बी. ए.,बी.एड.,एम.ए.(हिन्दी) तथा एम.एड. शिक्षित श्री पारीक का कार्यक्षेत्र-व्याख्याता (हिन्दी) हैl आपको कविता लिखना अधिक पसंद है। आपके लेखन का उद्देश्य-मातृभाषा का विश्व में प्रसार करना है।