ग्रीष्म का ये भीषण रूप

0 0
Read Time2 Minute, 5 Second

devendr soni
ग्रीष्म का ये रूप भीषण
लोग हुए हैं सब व्याकुल
सूरज की तो अपनी तपन
जल बिन हैं कंठ -कंठ आकुल
मचा है –
चहुँ ओर हाहाकार
जल बिन है सब बेकार।

ताप रवि का सहने को
फिर भी सक्षम हैं सारे
किन्तु गिरते भू जल स्तर से
फिर रहे मारे-मारे ।

आज यदि ये हाल हैं
तो सोचो,
कल क्या होगा …?

स्वार्थ भरे मन से हमने
प्रकृति से खिलवाड़ किया
गगनचुम्बी अट्टालिकाओं और
कंक्रीट के जाल से
वसुधा को अपनी पाट दिया ।

सुविधा के लिए अपनी
काट रहे हैं हम नित्य ही वन
बदले में इसके करके
रश्म अदाई पौधारोपण ।

नहीं बचेगा , इससे कुछ भी
खो देंगे हम चैन – अमन ।

तपन से गर्मी की तो
फिर भी बच लेंगे हम
मगर सूखती धरती को
देना होगा जीवन ।

आने वाले संकटों का
नहीं खींचता मैं कोई खाका
जानता हूँ सिर्फ इतना
जल का है जीवन से नाता ।

कोई न कोई जतन कर
सह लेंगे हम हर अभाव।

सह लेंगे ग्रीष्म का ताप
और ठंड की ठिठुरन भी
मगर कम होती वर्षा का
करना होगा कोई उपाय।

नहीं किया यदि हमने
अंबर के जल का संचय
बूंद-बूंद के लिए तरस कर
खोना पड़ेगा प्राण अपने ।

वक्त अभी भी है
सम्हलने का हम सबके पास
प्रकृति को बचाने
पौधा लगायें और पालें
उसे अपने आस-पास ।

नही करेगी फिर व्याकुल
तपन ग्रीष्म की हमको
और न ही होगा उसका
फिर यह भीषण रूप
पर जरूरी है
इसके लिये बदलें हम
प्रकृति का बिगड़ा स्वरूप ।

तो आइए हम सब
मिलकर यह ठानें
जुट जायेंगे
जंगल और जल बचाने।

 #देवेंन्द्र सोनी, इटारसी

Arpan Jain

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

सुन रहा है दिल की आहें...

Mon May 7 , 2018
सुन रहा है दिल की आहें जायें हम दायें या बायें तू है खुदा तो है कहाँ?? तू है खुदा तो है कहा?? गिद्ध बनकर ताड़ते जिस्म नोचते चिंघाड़ते बैठे हैं बहशी दरिन्दें खार में खूँखार से तू है खुदा तो है कहाँ?? तू है खुदा तो है कहाँ?? जल […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।