क्या इस पर भी विचार करेंगे शिक्षाविद,नेता और आप-हम कि,
विधि की अवधारणा होती है कि,देश के कानून का ज्ञान हर व्यक्ति को होता है। तथ्य की भूल क्षम्य है,किन्तु विधि की भूल अक्षम्य है। कोई भी व्यक्ति विधि की अनभिज्ञता का बचाव लेकर निर्दोष नहीं बन सकता है। बड़ी विडंबना है कि, हमारी शिक्षा व्यवस्था में इस उपधारणा के सन्दर्भ में कोई ज्ञान नहीं दिया जाता है। मेरे बचपन के समय में सामान्य ज्ञान हेतु ‘आसपास की तलाश’ नामक विषय और नैतिक ज्ञान हेतु हिन्दी भाषा में सुभाषितानि,नैतिक शिक्षा के विषय प्रचलित थे,जिसे भी बंद कर दिया गया है। देश की शासन व्यवस्था के सम्बन्ध में नागरिक शास्त्र की शिक्षा भी दी जाती थी। उक्त विषयों के ज्ञान का लोप देश और समाज के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। मेरे विचार से स्कूली शिक्षा में हाईस्कूल तक सामान्य विधि का एक अनिवार्य विषय होना चाहिए,जिससे आने वाली पीढ़ी विधिक रूप से जागरुक रहे,जो स्वस्थ लोकतंत्र हेतु अपरिहार्य है।भारत की शिक्षा व्यवस्था में कक्षा दसवीं के पश्चात ही कला,वाणिज्य, विज्ञान समूह की शिक्षा व्यवस्था है जिसके साथ विधि भी चौथा विषय होना चाहिए। विधिक शिक्षा 12 वीं कक्षा के पश्चात् महाविद्यालयों में कुछ समय से प्रचलित है,जबकि बी.ए., बी. कॉम.और बी.एस.सी. कोर्स परम्परागतरूप से चले आ रहे हैं। कई वरिष्ठ शिक्षाविदों का भी यही मानना है कि, वास्तव में बारहवीं विधि विषय से उत्तीर्ण विद्यार्थी हेतु बी.एल. की डिग्री पाठ्यक्रम होना चाहिए। इससे यह लाभ होगा कि,देश में कुशल वकीलों की संख्या में वृध्दि होगी और आम नागरिक भी वास्तव में विधि का सामान्य जानकर हो जाएगा। देशभर के शिक्षाविद,विधि शास्त्रियों, राजनेताओं,बुद्धिजीवियों और समाजशास्त्रियों को लोकतंत्र और विधि के शासन के लिए इस विचार की और गंभीरतापूर्वक ध्यान देने की दरकार है।
#संजय यादव
परिचय : संजय यादव इंदौर में खण्डवा रोड पर रहते हैं और जमीनी रुप से सक्रिय पत्रकार हैं। आपने एम.कॉम,एम.जे. के साथ ही इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से एमबीए भी किया है। कई गम्भीर विषयों पर आप स्वतंत्ररुप से कलम चलाते रहते हैं।
मेरे बचपन के समय में सामान्य ज्ञान हेतु ‘आसपास की तलाश’ नामक विषय और नैतिक ज्ञान हेतु हिन्दी भाषा में सुभाषितानि,नैतिक शिक्षा के विषय प्रचलित थे,जिसे भी बंद कर दिया गया है। देश की शासन व्यवस्था के सम्बन्ध में नागरिक शास्त्र की शिक्षा भी दी जाती थी। उक्त विषयों के ज्ञान का लोप देश और समाज के लिए घातक सिद्ध हो रहा है।
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सहमत