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मलिन वस्ती के मध्य चौराहे पर आज सुबह से काफी हलचल दिखाई दे रही थी। आस-पास के लोगों की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी। कुछ ही देर में वहाँ टेन्ट वाले ने कुछ कनातें लगा दींऔर चाँदनी भी तान दी ताकि लोगों को भयंकर पड़ रही गर्मी से राहत मिल सके। उसके नीचे कुर्सियां बिछा दी गयीं। एक मंच सजाया गया । फूलमालायें भी किसी गले का इंतजार करने लगी । मंच के एक साइड में कुछ ड्रमों में पानी भरवा कर रखा गया। दो लोगों को पानी पिलाने के लिये तैनात कर दिया गया।आस पास के लोगों को 10 बजे का समय दिया गया। और प्रचारित किया गया कि नामी गिरामी समाज सेवी सेवाराम जी आज यहाँ एक अस्थायी प्याऊ का उद्घाटन करने वाले हैं। एक प्यास का मारा बूढ़ा व्यक्ति पानी पीने भी गया लेकिन उसे समझाया गया कि अभी सेवाराम जी अपने शुभ हाथों से उद्घाटन करेंगे तभी इसकी शुरुआत होगी। बेचारा चुपचाप पीछे जाकर बैठ गया और समाजसेवी नेताजी का इंतजार करने लगा।
समाजसेवी नेता सेवाराम जी अपने नियत समय से मात्र दो घण्टे लेट पधारे।मीडिया वाले साथ ,कुछ प्रसंशक नारे लगाते हुए उन्हें मंच तक लाये।समाजसेवी नेताजी का गला फूलमालाओं से लाद दिया गया। केवल चेहरा ही चमक रहा था। जैसे ही समाज सेवी नेताजी ने उद्घाटन के लिये लगाए गए फीते पर कैंची लगायी कैमरों के फ़्लैश जल उठे । पत्रकार अपने कलम से नोट करने लगे। चारों तरफ वायुमंडल में समाज सेवी नेता सेवाराम जी जिन्दाबाद के नारे वायुमण्डल में गूँजने लगने लगे। उनके मार्मिक भाषण से सभी के गले तृप्त हो गये। वस्ती वालों की आँखों में चमक आ गयी यह सोचकर चलो मोहल्ले में प्याऊ तो लगा। प्याऊ का जोरदार उद्घाटन हुआ ,अच्छी मीडिया कवरेज हुई।लोगों ने खूब पानी पिया। समाजसेवी नेताजी सेवाराम ने वहाँ से प्रस्थान किया। उनके साथ भीड़ भी गयी ।आस- पास के लोग भी प्रस्थान कर गये। टेण्ट वाला भी अपना सामान समेटने रहा था तभी उसकी नजर पीछे कुर्सी पर पड़ी। जिस पर वही व्यक्ति बैठा था जो दो तीन बार प्याऊ तक पानी के लिये गया था किन्तु सफल न हो सका था। वह उद्घाटन का इंतजार में वहीं कुर्सी पर बैठा था। उसकी गर्दन पीछे झुकी हुई थी हाथ पैर भी शिथिल से थे।उसे आवाज भी दी टेण्ट वाले ने लेकिन उसका कोई जबाब न पाकर उसको पास जाकर हिलाया। हिलाते ही वह कुर्सी से नीचे लुढ़क गया अपनी आँखों में उस प्याऊ के उद्घाटन का स्वर्णिम स्वप्न लिये हुए।
#डॉ.राजीव कुमार पाण्डेय
परिचय : डॉ.राजीव कुमार पाण्डेय की जन्मतिथि ५ अक्तूबर १९७० और जन्म स्थान ग्राम दरवाह(जिला मैनपुरी,उ.प्र.)हैl आपका वर्तमान निवास गाजियाबाद(उ.प्र.)स्थित सेक्टर २ वेब सिटी में हैl शिक्षा एम.ए.(अंग्रेजी,हिंदी),बी.एड. एवं पी-एच.डी.तथा कार्यक्षेत्र में आप प्रधानाचार्य हैंl सामाजिक क्षेत्र में गाजियाबाद में कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैंl लेखन में आपकी विधा-गीत, ग़ज़ल,मुक्तक,छांदस,कविताएं,समीक्षा,हाइकु,लेख, व्यंग्य, रिपोर्ताज,साक्षात्कार,कहानी और उपन्यास आदि हैl साथ ही ब्लॉग पर भी लिखते हैंl प्रकाशन में आपके नाम पर `आखिरी मुस्कान` (उपन्यास),मन की पाँखें,हाइकु संग्रह,अनेक साझा संग्रह में कविता,हाइकु विश्वकोश,भारत के साहित्यकार प्रमुख विश्वकोश में परिचय आदि शामिल होना हैl डॉ.पांडे की रचनाएं देश के अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैंl आप एक समाचार पत्रिका में उप-सम्पादक की सेवाएं भी देते हैंl सम्मान के रूप में आपको अनेक प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा सम्मानित-पुरस्कृत किया जा चुका हैl आप अपनी उपलब्धि में-मंच संचालन,आयोजक होना और मुख्य अतिथि-विशिष्ट अतिथि सहित निर्णायक के रूप में सहभागिता मानते हैंl ऐसे ही भारत के लोकप्रिय कवियों के साथ काव्य पाठ करना भी इसमें शामिल हैl
यू.के. से प्रकाशित `सुंदरकांड` में आपका सहयोग रहा हैl आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक विसंगतियों को हटाना,स्त्री विमर्श करना और देश में सामाजिक सौहार्द्र की स्थापना हैl
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