0
0
Read Time48 Second
औरों का भला कर, तो अपना भला है।
ये ही सत्य शाश्वत, सदा ही चला है।
लिया मनुज तन तो, करना सत्कर्म सदा,
कर्म करे गलत, वो हाथ सदा मला है।
चाहे जो खुशियां, दूसरों की निज मना,
देखा गया वही, सदा फला फूला है।
जा चांद तारों पर, क्षमता दिखा रही,
सबला है नारी, न रही वो अबला है।
माता पिता को, आश्रम में छोड़ दिया,
रे पूत! तेरा दिल, क्यों नहीं दहला है।
धर्म सनातन है ये, भारत महान का,
जगत मे श्रेष्ठ, और क्रम मे पहला है।
श्रीमती मधु तिवारी, शिक्षिका, रायपुर छत्तीसगढ़, कहानी गीत गजल गजल कविता लेखन मे सक्रिय।
Post Views:
394