नगमा- ए ज़िन्दगी गुम चुके थे जिन्हे लब, आज फ़िर गुनगुनाने का जी चाहता है.. खोल दूं आसमां से झरोखा जुड़ा, और, पसर पर परिंदे का जी चाहता है.. ज़ुल्फ मेरी उड़ा ना ऐ पागल हवा, संग तेरे बहक जाने का जी चाहता है.. जानती हूं मनाने न आएगा वो, […]
हुआ गुम खुशियों का सफर मंहगाई है। हर तरफ जुल्म बेबशी है तन्हाई है।। पहले लोग बुनते थे रिश्तों का असर। अब रिश्ते ही बने हैं हैरत की नजर।। देखकर लोगों के सुख, लोग परेशान हैं। ये सियासत, नए जमाने की पहचान है। मौत का सामान, हर तरफ खुले आम […]
चीखता अंतर्मन बचपन कराहता टूटता कुछ भीतर तक जब जनक, जननी एक दूसरे का करते परित्याग — जन्म मिलकर दोनों ने दिया संरचित किया एक मांस पिंड को जीव में किया तब्दील जान फूंक दिया उस लोथड़े में फिर ये कैसा आघात — लगाते एक दूसरे पर आरोप, प्रत्यारोप दिखाते […]
जो वीर जवान सीमा पर तैनात रहें उन बलिदानों की कथा भला कोई कैसे कहे कैसे कहें , मां की ममता भरी वेदना जो अपने लला के लिए अश्रु में डूबी रहे हर होली और दीवाली लाल की राह तके मुख चन्द्र ललन का देखने को नैना न थके किस […]
जो वीर जवान सीमा पर तैनात रहें उन बलिदानों की कथा भला कोई कैसे कहे कैसे कहें , मां की ममता भरी वेदना जो अपने लला के लिए अश्रु में डूबी रहे हर होली और दीवाली लाल की राह तके मुख चन्द्र ललन का देखने को नैना न थके किस […]
मां की मै नाजों की पाली, मै पापा की लाडली.. उड़ना चाहूं दूर गगन छूना चाहूं आसमान चाहूं हिरनी सी भरूं कुलांचे, कभी मोरनी चाल चलूं.. कभी तितलियों संग भागुं मैं, फूलों संग कभी सवाल करूं.. पूछूं क्यों खिलते हो तुम, जब अगले दिन मुरझाते, अपनी सुन्दरता खोकर […]
आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है।
आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।
इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं।
हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।