एहसास…..

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malamahendrasingh

हाल ही में गीतिका प्रतिष्ठित संयुक्त परिवार में ब्याही है। विवाह की रस्मों के दौरान ही दोनों परिवारों के रीति-रिवाजों और परम्पराओं का अंतर साफ़ दिखाई दे रहा था। इसी कारण दोनों पक्षों में शादी-विवाह के दौरान सामान्यतः होने वाले छोटे-मोटे विवाद वृहद रूप लेते प्रतीत हो रहे थे।गीतिका भी आसपास घट रही इन सब बातों से अनजान नहीं थी,मन-ही-मन घबरा रही थी, कि कल से मायका छूट जाएगा! फिर वो ऐसे लोगों के बीच जीवनभर कैसे रहेगी ? वहाँ तो उसका कोई भी अपना नही होगा।
फेरों के बीच मण्डप के आसपास बैठी वधू पक्ष की महिलाएं केवल एक ही बात कर रही थी,-‘दादा ने बिटिया का ब्याह इतनी धूमधाम से किया,कोई कसर नहीं छोड़ी,लेकिन लड़के वालों का व्यवहार देख कर लगता है, गीतिका कैसे एडजस्ट करेगी?’ इस प्रकार की बातों से गीतिका की घबराहट बढ़ गई। यही सब सोच-सोच कर विदा होते हुए गई। जैसे ही ससुराल पहुँची,बुआ सास ने स्वागत के साथ-साथ सख्ती से परिवार के रिवाजों को निभाने की सीख दे डाली। बड़ों से आशीर्वाद लेते समय उनके हाथ में कुछ भेंट रखना होती है,ये रिवाज उसके ससुराल में था,लेकिन गीतिका को तो पता ही नहीं था। जैसे ही उसने आशीर्वाद लेना शुरु किया, उसकी चाची सास ने उलाहनों की झड़ी लगा दी,और तो और आसपास खड़ी अन्य सभी महिलाएं स्वर में स्वर मिलाने लगी। गीतिका के मायके वालों और संस्कार पर प्रश्नचिन्ह लगाकर, पूरे खानदान को रीत-रिवाज से अनभिज्ञ घोषित कर दिया गया। माँ के कहे अनुसार गीतिका,सबकुछ चुपचाप सुन रही थी,लेकिन आँखों के आंसू पर काबू पाना उसके बस के बाहर था। इतने में उसकी नानी सास बोल पड़ी-‘कैसे खानदान से आई है, शुभ काम में रोकर अशुभ कर रही है, माँ ने कुछ भी सिखाकर नहीं भेजा तुझे।’
अब क्या,अब तो गीतिका के सब्र का बाँध टूट रहा था,पर माँ के दिए संस्कार उसे कोई भी प्रतिक्रिया देने से रोके हुए थे। इतने में उसके कंधे पर एक हाथ आया और पीछे से आवाज आई-‘अरे आप सब लोग बार-बार उसके खानदान और संस्कारों को क्यों कोस रहे हो ? अब ये हमारे घर की बहूरानी है,इसका मान-सम्मान ही हमारा अभिमान है।’ इतना कहकर गीतिका को उसकी सास ने गले लगा लिया।
ये है गीतिका,जिसे ‘एहसास’ हो रहा है कि,अभी इस प्रकार से हर बात पर उसके घर के संस्कारों को घसीटा जा रहा है,क्या भविष्य में वो यंहा एडजस्ट कर पाएगी ?’ आप सबकी राय का इंतज़ार..।

                                                           #श्रीमती माला महेंद्र सिंह

परिचय: श्रीमती माला महेंद्र सिंह, (एम एस सी, एम बी ए, बी जे एम सी)विगत एक दशक से अधिक समय से महिला सशक्तिकरण हेतु कार्यरत। जय विज्ञान पुरस्कार, स्व आशाराम भाटी छात्रवृत्ति, तेजस्विनी पुरूस्कार, गौरव सम्मान, ओजस्विनी पुरुस्कार, युवा पुरस्कार जैसे कई सम्मान प्राप्त कर चुकी है।  देवी अहिल्या विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व राष्ट्रीय युवा उत्सव व विभिन्न राष्ट्रीय वक्त्रत्व कौशल प्रतियोगिताओ में किया। एन सी सी सिनीयर अंडर ऑफिसर रहते हुए, सामाजिक क्षेत्र में सराहनीय कार्य हेतु सम्मानित की गई। सक्रीय छात्र राजनीती के माध्यम से विद्यार्थि हित के अनेक आंदोलनों का नेतृत्व किया। अभ्यसमण्डल, अहिल्याउत्सव समिति जैसी कई संस्थाओ की सक्रिय सदस्य है। समय समय पर समसामयिक विषयो पर आपके आलेख पढ़े जा सकते है।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।