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७० साल की वृद्व माताजी,अब पैरों से कम ही चल पाती,इसलिए बेटा माताजी के लिए इस तनख्वाह पर व्हील चेयर( पहिया कुर्सी) ले आया। मां की खुशी का भी ठिकाना ना रहा। अब वह पूरे घर में कुर्सी पर बैठकर घूम सकेगी,आंगन में उड़ती चिड़िया और गुनगुनी धूप का आनन्द […]

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पायल अब १८ की हो चली। जन्मदिन,शुभ दिन। इस पावन दिन पर हमेशा की तरह पिताजी की तरफ से कोई नायाब तोहफा दिया जाता रहा,लेकिन आज का तोहफा मेरे लिए यादगार बन गया।  दोपहर १२ बजे पिताजी ने कहा-`बेटा पायल,आज पूरा परिवार बड़े घर जाकर तुम्हारा जन्मदिन मनाएगा। जन्मदिन की […]

माँ मजदूरी करती थी,जो कुछ भी मजदूरी के रूपए मिलते,उनसे वह अपने पुत्र और अपने लिए खाने-पीने की सामग्री खरीदकर काम चलाती थी। उत्सव और समारोह जब भी किसी घर में मनाए जाते,रामूड़ी चमन मसोसकर रह जाती। कभी अपने बालक की ओर देखती,तो कभी अपने भाग्य को कोसती। दीपोत्सव के […]

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आपसे मिलिए,आप हैं श्री लच्छू उस्ताद…जाति से ब्राम्हण, बरसों से चुंगी नाके की नाकेदारी करते-करते सभी को निकट से पहचान लिया है इन्होंने। चेहरा अब भी रोबीला,मूंछों पर वही ऐंठन और ठसक ऐसी कि,क्या कोई थानेदार रखेगा ? जबान पर लगाम है,मन पर काबू हैl दसवीं किताब उस समय की […]

सम्पन्न और शिक्षित परिवार में जब रमेश के यहां पहली पुत्री का जन्म हुआ,तो पूरे कटुम्ब में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। ऐसा नहीं था कि,इस परिवार में पहले किसी कन्या का जन्म नहीं हुआ था,पर रमेश के घर जब कन्या ने जन्म लिया तो यह कहकर खुशियां मनाई गईं […]

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उस दिन बन्द कमरे में हो रही उनकी बातें अधखुली खिड़की से सुनी,तो मैं दंग रह गया। अन्दर से खाली होता जा रहा था, अज्ञात भय सालने लगा। बेटे अखिलेश की शादी हुए अभी दो ही साल तो बीते हैं। काफी सोच-विचार कर भरे घर की बेटी को बहू बनाकर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।