उजियारा

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manmohan gupta
माँ मजदूरी करती थी,जो कुछ भी मजदूरी के रूपए मिलते,उनसे वह अपने पुत्र और अपने लिए खाने-पीने की सामग्री खरीदकर काम चलाती थी।
उत्सव और समारोह जब भी किसी घर में मनाए जाते,रामूड़ी चमन मसोसकर रह जाती। कभी अपने बालक की ओर देखती,तो कभी अपने भाग्य को कोसती।
दीपोत्सव के दिन आने वाले थे। उससे पूर्व ही रामूड़ी की झोपड़ी के पास के मकानों के बालक पटाखे और फुलझड़ी छोड़ रहे थे। रामूड़ी का पुत्र दीपू उन्हें देखकर माँ की ओर मुंह ताकता था।
दीपावली का दिन भी आया। चारों ओर दीपों के प्रकाश से मकानों की
मुंडेरियां जगमगा रही थी। रामूड़ी ने नन्हें बालक दीपू को छाती से लगाकर मन में अफसोस के दर्द को व्यक्त करते हुए गुनगनाया-‘कहां-कहां दीपक रखूं आज मैं ? मेरे घर अंधियारा है। दीपक में यदि तेल नहीं तो,फिर भी दीपक प्यारा है। माँ की गोदी में ही पाए जैसे इसने सुख सारे, लेकिन हम दोनों अभाव में,नहीं कभी थे हारे। जब पड़ोस के आंगन मैंने महताब चमकते देखे। लगता है मुझको तो गोदी के स्वप्न सलोने दिखे।’
यह गुनगुनाते हुए रामूड़ी की आंखों से अविरल आंसूओं की धारा मुखारविन्द से टपककर बालक दीपू के मुंह पर गिर गई थी। सच्चाई यह थी कि पर्याप्त मजदूरी न मिलने के कारण उसकी आंखें भर आई थीं। उसके घर में तेल नहीं था, इसलिए अंधियारा था, लेकिन जब अपना उसने कुलदीपक देखा तो घर भर में उजियारा था।

#मनमोहन गुप्ता 

परिचय : मनमोहन गुप्ता की शैक्षिक योग्यता एम.ए (हिन्दी,इतिहास, पत्रकारिता)और एम.एड. हैl आप शिक्षा विभाग से २०१३ में स्वैच्छिक सेवानिवृत हुए हैंl वर्तमान में बतौर सम्प्रति स्वतंत्र साहित्य लेखन जारी हैl प्रकाशन एवं प्रसारण देखें तो १९६९ में दैनिक अखबार में प्रथम प्रकाशन हुआ थाl तत्पश्चात आकाशवाणी जयपुर,मथुरा और आगरा से अनवरत प्रसारण होता रहा है,जिसमें राज्य स्तरीय रूपक `परिवर्तन` आकाशवाणी मथुरा के माध्यम से लखनऊ केन्द्र से प्रमुख रूप से प्रसारित होना हैl आपको भरतपुर में ‘लोहागढ़ कौ झरोखा’ के संस्थापक स्तम्भ लेखन का कार्यानुभव हैl ऐसे ही कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं और साक्षात्कार प्रकाशित हुए हैं।मनमोहन गुप्ता का निवास राजस्थान के मण्डी अटलबंद(भरतपुर) में हैl

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।