माँ मजदूरी करती थी,जो कुछ भी मजदूरी के रूपए मिलते,उनसे वह अपने पुत्र और अपने लिए खाने-पीने की सामग्री खरीदकर काम चलाती थी।
उत्सव और समारोह जब भी किसी घर में मनाए जाते,रामूड़ी चमन मसोसकर रह जाती। कभी अपने बालक की ओर देखती,तो कभी अपने भाग्य को कोसती।
दीपोत्सव के दिन आने वाले थे। उससे पूर्व ही रामूड़ी की झोपड़ी के पास के मकानों के बालक पटाखे और फुलझड़ी छोड़ रहे थे। रामूड़ी का पुत्र दीपू उन्हें देखकर माँ की ओर मुंह ताकता था।
दीपावली का दिन भी आया। चारों ओर दीपों के प्रकाश से मकानों की
मुंडेरियां जगमगा रही थी। रामूड़ी ने नन्हें बालक दीपू को छाती से लगाकर मन में अफसोस के दर्द को व्यक्त करते हुए गुनगनाया-‘कहां-कहां दीपक रखूं आज मैं ? मेरे घर अंधियारा है। दीपक में यदि तेल नहीं तो,फिर भी दीपक प्यारा है। माँ की गोदी में ही पाए जैसे इसने सुख सारे, लेकिन हम दोनों अभाव में,नहीं कभी थे हारे। जब पड़ोस के आंगन मैंने महताब चमकते देखे। लगता है मुझको तो गोदी के स्वप्न सलोने दिखे।’
यह गुनगुनाते हुए रामूड़ी की आंखों से अविरल आंसूओं की धारा मुखारविन्द से टपककर बालक दीपू के मुंह पर गिर गई थी। सच्चाई यह थी कि पर्याप्त मजदूरी न मिलने के कारण उसकी आंखें भर आई थीं। उसके घर में तेल नहीं था, इसलिए अंधियारा था, लेकिन जब अपना उसने कुलदीपक देखा तो घर भर में उजियारा था।
#मनमोहन गुप्ता
परिचय : मनमोहन गुप्ता की शैक्षिक योग्यता एम.ए (हिन्दी,इतिहास, पत्रकारिता)और एम.एड. हैl आप शिक्षा विभाग से २०१३ में स्वैच्छिक सेवानिवृत हुए हैंl वर्तमान में बतौर सम्प्रति स्वतंत्र साहित्य लेखन जारी हैl प्रकाशन एवं प्रसारण देखें तो १९६९ में दैनिक अखबार में प्रथम प्रकाशन हुआ थाl तत्पश्चात आकाशवाणी जयपुर,मथुरा और आगरा से अनवरत प्रसारण होता रहा है,जिसमें राज्य स्तरीय रूपक `परिवर्तन` आकाशवाणी मथुरा के माध्यम से लखनऊ केन्द्र से प्रमुख रूप से प्रसारित होना हैl आपको भरतपुर में ‘लोहागढ़ कौ झरोखा’ के संस्थापक स्तम्भ लेखन का कार्यानुभव हैl ऐसे ही कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं और साक्षात्कार प्रकाशित हुए हैं।मनमोहन गुप्ता का निवास राजस्थान के मण्डी अटलबंद(भरतपुर) में हैl