आशाओं के पंख

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vijay chouhan
७० साल की वृद्व माताजी,अब पैरों से कम ही चल पाती,इसलिए बेटा माताजी के लिए इस तनख्वाह पर व्हील चेयर( पहिया कुर्सी) ले आया। मां की खुशी का भी ठिकाना ना रहा। अब वह पूरे घर में कुर्सी पर बैठकर घूम सकेगी,आंगन में उड़ती चिड़िया और गुनगुनी धूप का आनन्द ले सकेगी,इस ख्याल ने बुढ़ापे में आशाओं के पंख से लगा दिए। खुशी ने पहला पायदान भी पूरा नहीं किया था कि,परदे के पीछे बहू-बेटे में वाकयुद्व चरम पर जा पहुंचा। बर्तन खनकने की आवाज पूरे घर में गूंजने लगी। तकरार की वजह मां की कुर्सी रही। वाकयुद्व को भांपते हुए मां ने बेटे को बुलाया और कुर्सी में मीन-मेक, नुक्ता-चीनी करते हुए बेटे से लौटाने का आग्रह किया। मां की बातों को आज्ञा मानते हुए बेटे ने कुर्सी लौटा दी। मां की आंखों में गृहशांति के लिए त्याग भावना तो दूसरी ओर बहू को पहिया कुर्सी के बदले ४००० रुपए वापस आने की खुशी नजर आ रही थी।

#विजयसिंह चौहान

परिचय : विजयसिंह चौहान की जन्मतिथि  ५ दिसंबर १९७० और जन्मस्थान इन्दौर हैl आप वर्तमान में इन्दौर(मध्यप्रदेश)में बसे हुए हैंl इन्दौर शहर से ही आपने वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ विधि और पत्रकारिता विषय की पढ़ाई की हैl आपका  कार्यक्षेत्र इन्दौर ही हैl सामाजिक क्षेत्र में आप सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हैं,तो स्वतंत्र लेखन,सामाजिक जागरूकता,तथा संस्थाओं-वकालात के माध्यम से सेवा भी करते हैंl विधा-काव्य,व्यंग्य,लघुकथा व लेख हैl उपलब्धियां यही है कि,उच्च न्यायालय(इन्दौर) में अभिभाषक के रूप में सतत कार्य तथा स्वतंत्र पत्रकारिता में मगन हैंl 

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