प्रकृति कहती हमको बचा कर, जीवन धरा पर सरस बना लो। वृक्षों का तुम रोपण करके , वसुधा माँ को खूब सजा लो। सागर ,नदियाँ स्वच्छ बनाकर, जीवन अपना निर्मल बना लो। पीपल ,बरगद, नीम लगाकर, ऑक्सीजन तुम भरपूर पा लो। गिलोय ,तुलसी घर में लगा कर, तन मन अपना […]

हम बच्चे हैं नन्हें मुन्ने, जुल्म हम पर ढाओ ना। इस छोटी सी नन्ही उमर में, इतने काम बताओ ना।। अभी अभी तो चलना सीखा, मन्जिल अभी दिखाओ ना। अभी अभी तो बोलना सीखा, हमको ज्ञान रटाओ ना।। हम बच्चे हैं …………… सब संग हमारे खेलो कूदो, और घोड़ा बन […]

हाथों में थी, मात पिता के, सांकलियाँ। घोर घटा में, कड़क रहीं थी, दामिनियाँ। हाथ हाथ को, भी नहिं सूझे, तम गहरा। दरवाजों पर, लटके ताले, था पहरा।। यमुना मैया, भी ऐसे में, उफन पड़ी। विपदाओं की, एक साथ में, घोर घड़ी। मास भाद्रपद, कृष्ण पक्ष की, तिथि अठिया। कारा-गृह […]

फूल बन कर मुस्कराना जिंदगी है। मुस्कारा के गम भूलाना जिन्दगी है। मिलकर लोग खुश होते है तो क्या हुआ l बिना मिले दोस्ती निभाना भी जिंदगी है l। जिंदगी जिंदा दिलों की आस होती है। मुर्दा दिल क्या खाक जीते है जिंदगी। मिलना बिछुड़ जाना तो लगा रहता है […]

हरियाली देती सबको संदेश, पेड़-पौधे लगाओ, स्वर्ग बने देश ।। उद्योगों की आंधी में, विनाश रूपी विकास में, मत क्षति पहुंचाओ प्रकृति को- सभ्य समाजी बनकर पर्यावरण बचाओ । पेड़ लगाओ- पेड़ लगाओ, फोटो मत खिंचवाओ ।। हम बदलेंगे तो तस्वीर बदलेगी धरा की – प्रकृति का संरक्षण करके, ओजोन […]

मैं यह शरीर नही हूं मैं एक आत्मा हूं पूरी तरह अशरीरी एक ज्योतिबिन्दु एक ऊर्जा मात्र जो रहती है इस शरीर की भृकुटि में मुझ आत्मा से ही चलता है यह शरीर पर समझता हूं शरीर को ही सबकुछ भूल जाता हूं आत्मा नही रहेगी तो देह हो जाएगी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।