किसी असहाय का दुख दर्द बढ़कर कौन समझेगा, मुसीबत क्या है यह अपने से बेहतर कौन समझेगा। भरे बाजार में बिकने को जो मजबूर हो जाते- विवशता बेबसों की मेरे ईश्वर कौन समझेगा। #डॉ. कृष्ण कुमार तिवारी ‘नीरव’ Post Views: 451
काव्यभाषा
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राष्ट्र-प्रेम का प्रदीप, सदैव दीप्तिमान हो। विश्व-ऐक्य-भाव ही, सर्वथा प्रधान हो।। कोटिशः नमन तुम्हें, धीर वीर महान हो। त्याग शान्ति समृद्धि के, तुम्हीं तो वितान हो।। शुष्क हृदय न हो कभी, प्रेम प्रवाहमान हो। कर तिरोहित वैरभाव, अधर मात्र मुस्कान हो।। है एक प्राण दाता पूज्य, सर्व-धर्म समान हो। मनुज […]