चाँदनी रात के दामन से सितारा लेकर, कोई आया है मेरे घर में उजाला लेकर। आग दुनिया में लगाने के लिए काफ़ी हैं, अश्क ठहरे हैं जो पलकों का किनारा लेकर। इश्क़ परवान चढ़ेगा कि नहीं रब जाने, हम तो निकले हैं मुहब्बत का इरादा लेकर। टाल देते हैं […]
काव्यभाषा
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