धूप जैसे बरसती रही प्यार की, ज़िंदगी गुनगुनी-सी सिंकती रही.. तेरे वजूद की गर्मियाँ ही तो थीं, सर्द मौसम में दुशाले-सी लिपटी रहीं। धुंधली होती रही जो वक्त की गर्द से, उन लम्हों की महक अब भी बाकी तो है.. भीनी-भीनी सही,पर मिट न सकी, रुह के नूर में जैसे […]