लुट गई है पूरी बस्ती, बस मिट रही है हस्ती। अब आया एक मसीहा, आगम की उसमें मस्ती।। बढ़ता ही जा रहा है, सच को जिता रहा है। जिनवर का है दीवाना, राग-द्वेष नशा रहा है।। अब है समझ में आया, कुछ भी न मैंने पाया। शिवमग मिला उसी को, […]
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मित्रों,आज विश्व रचनात्मकता दिवस पर बात अपने-अपने भीतर छुपी रचनात्मकता की। विधाता की सर्वश्रेष्ठ कृति के नाते हम सबमें कोई- न-कोई रचनात्मकता अवश्य छिपी है। आवश्यकता सिर्फ उसे पहचानने की है। रचनात्मकता सिर्फ लेखन,प्रकाशन,चित्रकारी,कलाकारी, अभिनय,गायन-वादन आदि तक ही सीमित नहीं है। इसका फलक इतना व्यापक है कि, उसे किसी एक […]