अब वो गांव,गांव न रहा। वो माटी में माटी का भाव न रहा। गांव को देखा तो मेरे गांव से मुंशी प्रेमचंद का गांव छूमंतर नजर आया। अब गांव में बहुत-सा अंतर नजर आया। अब सचमुच मेरा गांव बदल गया है। गांव को भी अब शहर निगल गया है।। अब […]

‘शाख से पत्ता कोई जुदा नहीं होता। रोता है अब बचपन,बच्चा नहीं रोता।।’ किसी भी देश की संस्कृति,भाषा, साहित्य के सर्वांगीण विकास में शिक्षा का बहुमूल्य योगदान है। शिक्षा ही वो माध्यम है,जिसके अनुरूप अपने जीवन मूल्यों,संस्कृति व किसी देश की बहुमुखी प्रतिभा का आंकलन किया जा सकता है। भारत […]

हो जाएं कितने भी मालामाल तेरे बिन, रहेंगे कसम से जा़न कंगाल,तेरे बिन..। तिलिस्म-ए-इश्क है कि,तेरे चहरे की क़शिश, आता नहीं किसी का भी ख़याल तेरे बिन..। धड़कनों के धरने जारी हैं कूचा-ए-दिल में, नींदों ने भी कर दी है हड़ताल तेरे बिन..। जिस तरह बिना राधा के,आधा है कन्हैया, […]

(आज मातृ दिवस के अवसर पर विशेष ) किससे सुनूँ माँ,आज फिर वो लोरी, कैसा था चंदा मामा कैसी थी चकोरी। तेरी याद में माँ आज आंख भर आई, पिला दो मुझको माँ वो नेह की कटोरी।। वो धनिए की चटनी,चूल्हे की रोटी, कहती थी इससे स्वस्थ रहती किडनी। बड़े […]

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(आज मातृ दिवस के अवसर पर विशेष ) माँ का हृदय रत्नाकर-सा, माँ तारापथ समान है। माँ की जान बसे बच्चों में, माँ बच्चों की जान है।। माँ खुशियाँ संग मनाती है। माँ मिश्री-सी,लोरी सुनाती है।। माँ गलती पर बच्चों को डाँटती है। माँ अपना दुःख न बाँटती है।। माँ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।