अँधेरा हैं चारों तरफ, कोई दीवाना चाहिए मिटा दे जो अंधेरों को, दीपक जलना चाहिए। भरोसा भोर का है नहीं, रात भी है रकीब जैसी ढूँढ लाए जो शमां को, ऐसा परवाना चाहिए। फलक तक जाना चाहो, आसमां से करने बातें परिन्दों सी जो नीयत हो, उसे उड़ जाना चाहिए। […]
सृजन की भावनाओं का नवल संसार पुलकित हो। विजय की प्रार्थना का रम्य पारावार पुलकित हो॥ अलक्षित प्रीति के बादल गगन की रागिनी के संग। भिगोएं लक्ष्य के आंगन तो हर घर द्वार पुलकित हो॥ शहीदों की प्रबल अनुपम विजय का गान पुलकित हो। सभी वेदों व धर्मों से मिला […]
आओ इन जीर्ण दरख्तों में थोड़ी-सी जान फूंकते हैं, इनके अंतस की पीड़ा को स्वर-लय दे आज़ हूँकते हैं। शायद कोई तो समझ सकेगा, दर्द मौन आशाओं का.. या फ़िर बन जाएगा कोई, अनुगामी अभिलाषाओं का। भू का कम्पन समझे कोई, आवेश समझ ले अम्बर का.. कुदरत की हर पीड़ा […]
दिल की खुली किताबों पर, मैं प्रियवर तेरा नाम लिखूं। इसके हर कोरे पन्ने पर तेरे, संग महकती शाम लिखूं।। जीवन के कोरे कागज़ हैं, जो तुम आओ तो रंग खिले। तेरे संग चले मेरी साँसें,तेरे साथ ही पूर्ण विराम लिखूं।। […]
बिना पहचान-पत्र न जाने, यंत्र उँगली को कहाँ पहचाने; तंत्र से जुड़ा हुआ जब जाने, तभी दरवाज़ा खोलना जाने। करना पंजीकरण प्रायः होता, लेना चिप वाला कार्ड भी होता; उसी से पात्र संस्था जुड़ता, सभी सुविधाएँ भोग कर पाता । तंत्र सब विश्व-तंत्र विच होते, यंत्र पर उनके अलहदा होते; […]
अमृतसे भरा है दिल मेरा, जो सागर जितना सत पूनमचंद के पप्पू के पास बुजुर्ग माँ लिखाती खत.. पप्पू उसका मुंबई गांव में, परेश भाई प्रेमजी नामे लिखती हैं मैया। पाँच बरस में पहुँची नहीं, एक पाई.. कागज की एक चिट्ठी भी, नहीं मिली मेरे भाई.. समाचार सुन के तेरा […]
आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है।
आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।
इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं।
हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।