मेरे देश का सम्मान होना ही था लबों पर मुस्कान होना ही था मेरे मुल्क से है कितनी चाहत सच कहूं अभिमान होना ही था साया हो सर पर गर माँ पिता का काम जो हो आसान होना ही था रब की होती है बड़ी मेहरबानी समस्या कोई हो निदान […]

सामने पति की लाश पड़ी थी और पूनम चुपचाप गुमसुम सी निहारे जा रही थी । उसके आंसू न जाने कौन पी गया…। अभी उसके हाथों पर लगी मेहंदी का रंग भी फीका न पड़ा, कि एक भयानक रोड एक्सीडेंट में रमन को पूनम से हमेशा- हमेशा के लिए जुदा […]

कोरोना फिर आ रहा है रह रहकर सता रहा है थोड़ी सी लापरवाही सब पर भारी पड़ रही है रोज़ संख्या बढ़ रही है कोरोना महामारी की कोई चपेट में न आए इससे सावधान रहिए भीड़भाड़ से दूर रहिए मास्क,सेनेटाइजर अपनाए संक्रमण फैलने से बचाए हाथ मिलाना जरूरी नही गले […]

पीढ़ियों का अंतर तो हर दौर में रहा है, बुज़ुर्ग और युवा पीढ़ी के बीच संवाद की कमी हमेशा ही रही है, फिर आज के वृद्ध ख़ुद को अधिक उपेक्षित क्यों महसूस करते हैं? कारण है, उनका भावी पीढ़ी से संवाद भी कम या लगभग ख़त्म हो गया है। महज़ […]

कटती नहीं उम्र मेरी अब तेरे बिना। मुझको किसी से मानो प्यार हो गया। जिंदगी की गाड़ी अकेले अब चलती नहीं। एक साथी की मुझे अब जरूरत आ पड़ी।। मिलना मिलाना जिंदगी का एक दस्तूर है लोगो। खिल जाता है दिल जब कोई अपना मिलता है यहां। जिंदगी के इस […]

भाषाई पत्रकारिता के सबसे बड़े आधार स्तंभ स्व. प्रोफेसर कमल दीक्षित एक प्रयोगधर्मी, रचनाधर्मी और विकासगामी पत्रकारिता के पैरोकार थे। वे एक सहज, सरल इंसान थे और पत्रकारिता के चलते-फिरते स्कूल थे। वे फक्कड़ पत्रकार और मूल्य आधारित पत्रकारिता में सबसे अग्रणी थे। आंचलिक पत्रकारिता को बढ़ावा देने में उनका […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।