मन अकेला, चाहे दूर क्षितिज के पार से.. कोई अलबेला राह निहारे दिल से पुकारे। आजा रे, मेरे मनमीत बरसों हो गए तुझ को मानते.. मन की पीर जीने नहीं देती, आकर गले लगा ले॥      #श्रीमती राजेश्वरी जोशी परिचय : श्रीमती राजेश्वरी जोशी का निवास अजमेर (राजस्थान) में […]

  पेड़ों ने कलियां-फूल बिखेर दिए, बरसात का स्वागत करने के लिए। कलियां खिली खोह खोल पंखुरी, मेघों में चम-चम चमकी बिजुरी, मन हर्षित तन कंपित सभी हुए। पेड़ों ने कलियां-फूल बिखेर दिए, बरसात का स्वागत करने के लिए। नयन मूंदे पेड़ों की सभी कोंपलें, बयार के संग-संग हिलें-डुलें पंछी […]

मैंने…कब चाही अपने प्रेम की विलक्षण परिभाषा…। कब की…तुमसे मिलन की आशा..। मैंने कब चाहा तुम्हारे, मखमली आलिंगन का अधिकार ..। मैंने..कब चाहा तुमसे, चिर मिलन,समर्पण,या प्यार …। मेरे प्रेम को, नहीं चाहिए, शरीर का आकार…। यौवन का ..,ज्वार…। देह का ….चंदन …। शिराओं का…स्पंदन..। मैं तो प्यासा हूँ, उन्मुक्त […]

सोलह-सोलह पर लिखो, चार चरण धर ध्यान। चौपाई  का है यही, मित्रों  छंद विधान॥ सोलह से तुम चरण सजाओ। चौपाई मिल सभी  रचाओ॥ जगण-तगण अंत नहीं लाना। चल विधान पर छंद रचाना॥ दो लघुओं संग गुरू को रखना। उचित अंत को समझो  रसना॥ चौपाई   के  साथ में, है दोहा […]

जीवन में केवल ठंड होती, तो धूप सुहावनी कैसे लगती। यदि केवल गरमी होती तो छाँव की तलाश क्यों  होती॥ सुख और दुख आते हैं, जाते हैं। यदि मित्र न होते तो शत्रु की पहचान कैसे होती॥ हम पूर्ण होते तो, परमेश्वर को क्यों ढूंढते।           […]

हमें हमारे कुत्ते से बहुत प्यार है, क्योंकि हमारा कुत्ता बहुत वफादार है। हम उस कुत्ते के मालिक हैं,इस बात का हमें नाज़ है, क्योंकि हमारे कुत्ते के सिर में कुत्तों के सरदारों का ताज है। उसकी कुत्तानियत और कुत्तत्व के मोहल्ला, पड़ोस और देश में बात होने लगी, फिर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।