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पेड़ों ने कलियां-फूल बिखेर दिए,
बरसात का स्वागत करने के लिए।
कलियां खिली खोह खोल पंखुरी,
मेघों में चम-चम चमकी बिजुरी,
मन हर्षित तन कंपित सभी हुए।
पेड़ों ने कलियां-फूल बिखेर दिए,
बरसात का स्वागत करने के लिए।
नयन मूंदे पेड़ों की सभी कोंपलें,
बयार के संग-संग हिलें-डुलें
पंछी सारे नभ में चहकने लगे।
पेड़ों ने कलियां-फूल बिखेर दिए,
बरसात का स्वागत करने के लिए।
वर्षा की शीतल ठंडी हिलोरें,
रोंगटें खड़े कर तन झकझोरें
नंगे पांव ही हम निकल पड़े।
पेड़ों ने कलियां-फूल बिखेर दिए,
बरसात का स्वागत करने के लिए।
#नवल पाल
परिचय : नवल पाल की शिक्षा प्रभाकर सहित एम.ए.,बी.एड.है। आप हिन्दी,अंग्रेजी,उर्दू भाषा का ज्ञान रखते हैं। हरियाणा राज्य के जिला झज्जर में आप बसे हुए हैं। श्री पाल की प्रकाशित पुस्तकों में मुख्य रुप से यादें (काव्य संग्रह),उजला सवेरा (काव्य संग्रह),नारी की व्यथा (काव्य संग्रह),कुमुदिनी और वतन की ओर वापसी (दोनों कहानी संग्रह)आदि है। साथ ही ऑनलाईन पुस्तकें (हिन्दी का छायावादी युगीन काव्य,गौतम की कथा आदि)भी प्रक्रिया में हैं। कई भारतीय समाचार पत्रों के साथ ही विदेशी पत्रिकाओं में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। सम्मान व पुरस्कार के रुप में प्रज्ञा साहित्य मंच( रोहतक),हिन्दी अकादमी(दिल्ली) तथा अन्य मंचों द्वारा भी आप सम्मानित हुए हैं।
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