मोहब्बत की कहानी कभी खत्म न होगी, ये इश्क़-ए-वफ़ा, कभी दफन न होगी। अब भी आती है, तेरे अहसासों की खुशबू , ये मुश्क-ए-मोहब्बत कभी खत्म न होगी।। […]
रससुजान रसखान है,मीरा के पद पूर। सुर-सुरा साहित्य लहरी,ग्रंथ रचे हैं सूर।। अष्ट छाप वर्णन किए,राधेश्यामा गीत। गली-गली गावत फिरे,मुरली में संगीत।। कृष्ण चतुर परमानन्द,गोविंद कुंभनदास। सूर नंद अरु छीतकवि,अष्टछाप के खास।। (‘हिन्दी दोहावली’ के इतिहास खंड भक्तिकाल से दोहा) #डाॅ. दशरथ मसानिया Post Views: 307