काल के कपाल पर       नियति के भाल पर            लिखित शब्द मात्र है                      “अटल” ही “अटल” निःशब्द शब्द शब्द है      महाकवि को लब्ध है            काव्य जग […]

व्यथित मन में … कोलाहल अलबेला है निःसन्देह … नव सृजन की बेला है..!! पीर का दंश जब पर्वत से बड़ा हुआ हारा हुआ मन नव उर्जा से खड़ा हुआ जीत का… जब ना कोई विकल्प  होता है विजय का सिद्ध तब संकल्प होता है सहस्त्र रश्मियां नैनों में जगमगा  […]

है दुआ़,पैर में आया कांटा भी फूल बन जाए। छुओ जो कली तो गुलशन बन जाए॥ रास्ते का पत्थर भी पारस बन जाए, मौसम की लहर भी बहार बन जाए॥ जिस नजऱ देखो नजराना बन जाए। दे कोई गर साथ तो हमसर बन जाए॥ मिले कोई राहगीर तो फ़रिश्ता बन […]

1

  हर जहां में है मेरा फैला है तराना। लाई साथ खुशियों का नजराना॥ ख्वाबों की दुनिया का सफर है सुहाना। कैसे तय करुं,न साथ हमसफर न जमाना॥ सपनों को,पूरे करने की  है चाहत। न उम्मीद है,किसी से न शिकायत॥ आस है जीवन,न है कोई हकीकत। जिंदगी है अधूरी,बस यही […]

हमारा देश है सबसे न्यारा। इसलिए हमें है अपनी जान से प्यारा॥ हमारे देश का नाम है भारत। हम भारतीयों के दिल में है इसकी चाहत॥ भारत की सबसे अलग ही है पहचान। अनेकता में एकता है इसकी शान॥ हमारे वीरों ने ही दी अपनी कुर्बानी। तब मिली हमें नई […]

माँ वसुंधरा तो पिता अंबर-सा साया। माँ शीतल आंचल तो  पिता कड़कती धूप में  छाया॥ माँ है पवित्र गंगा जल,तो पिता है पर्वत विंध्याचल। माँ है खुशियों का आँगन, वहीं पिता है रहा आवरण॥ माता-पिता है इंसान के रूप में ईश्वर। इनसे सदा सजा रहे हमारा घर-मंदिर॥ माता-पिता है जीवन […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।