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है दुआ़,पैर में आया कांटा भी फूल बन जाए।
छुओ जो कली तो गुलशन बन जाए॥
रास्ते का पत्थर भी पारस बन जाए,
मौसम की लहर भी बहार बन जाए॥
जिस नजऱ देखो नजराना बन जाए।
दे कोई गर साथ तो हमसर बन जाए॥
मिले कोई राहगीर तो फ़रिश्ता बन जाए।
लड़खड़ाए अगर कदम तो ईश्वर सहारा बन जाए॥
है कभी अंधेरा तो रोशन जहां हो जाए।
रहे न कभी किसी से दूरियां तो नजदीकिया बन जाए॥
न हो कोई दर्द,दुख हर जहां खुशनुमा बन जाए।
है कोई निराशा तो निराशा भी ऐश बन जाए॥
#तृप्ति तोमर
परिचय : भोपाल निवासी तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं।यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। मध्य प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है।
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