इंसाँ हूँ ज़िन्दगी जो तुझे हँसता मिले दुआ  है  तुझे  कोई  फ़रिश्ता  मिले । इक घर खड़ा है इन दो काँधों पर या रब मुझे ईश्क़ ज़रा सस्ता मिले । सारा जहाँ घूम लिया फिर भी वहीं चल वहाँ जहाँ वखरा रास्ता मिले । आम होने से डरता है ये […]

प्रखर प्यास अंतर में भरकर गुज़र रहा जीवन, हाथ गहा न किसी ने हँसकर गुज़र रहा जीवन! प्यासे लोचन प्यासी धड़कन प्यासी उर की चाह, बना प्यास का उद्गम अंतर गुज़र रहा जीवन! मिली नहीं सौन्दर्य कुमारी मुझको सपने में, केवल रूप-पुजारी बनकर गुज़र रहा जीवन! प्यारा यौवन अब ढलान […]

धान रोपते हैं श्रमिक,उतर खेत के बीच। जैसे अपने खून से,रहे खेत वह सींच।। हरियाली भाती बहुत,निज आँखों को मीत। प्रकृति कहे करिए सहज,हरियाली से प्रीत।। पानी में डूबे हुए,दिखें श्रमिक के पाँव। सिर पर रखकर टोकरी,विचरें श्रम के ठाँव।। धान रोपकर शाम को,जाते अपने गेह। रोजी-रोटी के लिए,करते श्रम […]

भावों से जन्मे जो है सिर्फ़ वही कविता, जो सोच के लिखता वो लिख सकता नहीं कविता! ००० जब-जब भी क़लम लेकर मैं बैठता हुँ लिखने, तब-तब ऐसा लगता ख़ुद बोल रही कविता! ००० डूबे हैं अहं में जो पग से लेकर सिर तक, बोलो,उनके दिल में कब-कब है बही […]

जितनी  भी    शक़्कर    थी    इस    बदन    में, उसके  शक्करपारे    तो  बचपन     खा  गया। अब      कड़वाहट      बची     है     जवानी    में, उसपे  लोग   कहते   हैं पागल चिड़चिड़ा  गया। जी-जान  लगा  दी  नाम   को   दस्तख़त   बनाने  में, कम्बख़त  ज़माना  […]

लफ्ज़ दर लफ्ज़ लफ़्ज़ों को सिलता  हूँ, अपने अंदर के डर को राम- राम करता हूँ। अपने डर को सुइयाँ चुभोते  रहता हूँ, ऐबों की उठ्ठक-बैठकें गिनता रहता  हूँ। माँ की शॉल से ठंड को भगा  देता हूँ, मय छूता नहीं दूध आब-सा  पीता हूँ। कोसे-कोसे आटे की बू रुला  […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।