जब रंगा जाऊँ तो हरा हो जाऊँ, जब कहा जाऊँ तो मधुर बन जाऊँ। जब ढूंढा जाऊँ तो व्यक्त हो जाऊँ, जब काटा जाऊँ तो मुलायम हो जाऊँ। जब देखा जाऊँ तो नजर आ जाऊँ, जब सुना जाऊँ तो गहन हो जाऊँ। जब चला जाऊँ तो स्मृति बन जाऊँ, जब […]
यहाँ राम नहीं, यहाँ कृष्ण नहीं रावणों का दरबार लगा है, कुम्भकर्ण सब सोये हैं विभीषण की आवाज नहीं। मंदोदरी सब रोती हैं सीता धरती में समायी हैं, लक्ष्मण सारे मूर्छित हैं, भरत सिंहासन से दूर खड़े हैं। प्रजा सब मूक बनी है रावणों का दरबार लगा है, राजनीति की […]
हमारी बात कर लिया करो, मिलने के संदर्भ हों या बिछुड़ने के, पूजा-पाठ का सिलसिला हो या टहलने का, ज्ञात कहानी हो या अज्ञात , चलने की बात हो या रूकने की, शब्दों से कहना हो या मौन से, बचपन के किस्से हों या जवानी के लड़ाइयों का होन हो […]
बातें हों तो साथ हों, बातें कहाँ पूरी होती हैं, सूर्योदय से सूर्यास्त तक शाम से सुबह तक बातें कहाँ पूरी होती हैं? कभी प्यार पर लटकती हैं कभी आकाश में भटकती हैं, कभी बचपन चुराती है कभी यौवन दिखाती हैं बातें कहाँ पूरी होती हैं? आग भी तपाती हैं […]
यह भी प्यार है काठगोदाम से नैनीताल जाना सड़क के मोड़ों को देखना नदी के पानी में तैरना झील के किनारे बातचीत करना फिर अचानक पहाड़ों में खो जाना। नैनीताल से भवाली आना ढलान को पकड़ना पेड़ों के बीच लुकाछिपी होना फिर अचानक जंगलों में लुप्त हो जाना। यह भी […]
कभी-कभी मुस्कान लिये दूर तक पहुंच जाना, कभी-कभी प्यार लिये दूर तक आ जाना, योंही अचानक बढ़ा देना राहों की लम्बाई, समय को खोल देना सबके लिए दूर तक, जैसे नदी निकल जाती है दूर पक्षियां उड़ कर बस जाती हैं दूर, मनुष्य उजाले में आ जाता है दूर-दूर तक, […]
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए।
आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं।
कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।