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ये प्यादे भी उछलते बहुत हैं
आम लोगो को छलते बहुत हैं
बना रखा मिजाज गिरगिट सा
पल-पल में रंग बदलते बहुत हैं
मेहनत से जी चुराने वाले भी ना
किसी कामयाब से जलते बहुत हैं
कैसे समझाए भला इन मूर्खो को
कम दिमाग वाले मचलते बहुत हैं
इसलिए तो आगाह करना जरूरी
ये वो अजगर है निगलते बहुत हैं
#किशोर छिपेश्वर”सागर”
भटेरा चौकी बालाघाट
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