रेल गाडी के सफर मे, किन्नरो का होना कोई नयी या बड़ी बात नहीं. लेकीन उस किन्नर की बात ही कुछ और थी,जो दिल को छू गयी। भिडसे खचाखच भरे रेल के डिब्बे मे पाव धरने को भी जगह न थी. धुपकाले की धूप भी सर पर आग बनकर बरस […]

महंगी पड़ गयी तुम्हारी मोहब्बत हमें   कुछ लिया भी नहीं और सब कुछ दे दिया     वैसे इतना भी बुरा नही था ये सौदा   हमको भी तो मिला रात भर आँख खुली रखने का काम   आँख मिच के भी ना सोने का काम   बिना तुम्हारी […]

टकटकी लगाकर मुझे वो देखती रही बहाने से खिड़की में चाँद ढूँढती रही आँखें कहीँ मिल न जाए उससे मेरी सर उठता रहा उसकी आँखें झुकती रही गली में मेरी आमद होते ही ये आलम वो अपनी सहेलियों में घिरती रही उससे दूर न होने का वस्ल किया मैंने जब […]

जिगर जां न्यौछावर करते हैं हम, तुझ पर वतन मेरे,भारत भुवन। जिगर-जां न्यौछावर करते हैं हम॥ वेदों की संस्कृति,प्राणों से प्यारी, पापों का मोचन,ये गंगा हमारी। सागर ये चरणों पे करता नमन, जिगर-जां न्यौछावर करते हैं हम॥ तुझ पर वतन मेरे ,भारत भुवन, जिगर-जां न्यौछावर करते हैं हम। राम और […]

शब्दों के चक्रव्यूह में कभी खुद ही उलझ-सा जाता हूँ। कहना चाहूँ क्या-क्या,लेकिन क्या-क्या मैं कह जाता हूँ॥ सुनकर ही,उस पर ही चलना आदत को मंजूर नहीं। रुककर थोड़ा मनन न कर सकूँ,ऐसा तो मजबूर नहीं॥ सीधी-साधी बातों में ही कितना कुछ मैं पा जाता हूँ। शब्दों के चक्रव्यूह में […]

मुद्दतें गुज़र गई,तफ्सील से बतियाए। हुई इनायत-ए-खुदा,कि आखिर आप आए॥ शाम-ए-ग़ज़ल सुनाऊँ या,हाल-ए-दिल सुनूं तुम्हारा। नज़र-ए-बयां करुं या,दिखाऊँ यह दिलनशीं नज़ारा॥ तेरी मासूमियत पर,मेरी ख़ुशी मुस्कुराए। मुद्दतें गुजर गई,तफ्सील से बतियाए॥ हुई इनायत-ए-खुदा,कि आखिर आप आए। आलम गुज़रे ज़माने का,न कभी मज़लिस नाम हुआ। मिटी कभी तन्हाई तो,मैं महफ़िल में […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।