ओ कला !!! कहाँँ हो तुम ?  कब से आवाज दे रही हूँ । गली में चूड़ीवाला आया है । सुन्दर – सुन्दर चुड़ियाँ सजा रखी हैं उसने !  बड़बड़ाती हुई शकुन्तला देवी सीढ़ियों की ओर लपकीं । शायद अपने कमरे में होगी , कहते हुए उसके कमरे तक पहुँचीं […]

प्यार इबादत है पूजा है इसमें न राग है न द्वेष प्यार के रंग अलग अलग माँ ने किया तो ममता है प्यार पिता ने किया तो बन जाता वो आशीर्वाद है प्यार दोस्तों ने किया तो अटूट दोस्ती की निशानी है प्यार अपनों ने किया तो अटूट रिश्ता होता […]

शायद हमें एक संत ना खोना पड़ता! ये हमारी परम्परा सी बन गई है कि हम मरने के बाद सब को “स्वर्गीय” मान लेते हैं। इसके लिए अपने तर्क हो सकते हैं । “मरे बाद महान”  की परपंरा भी हमारे समाज में है, जो जिंदा महान थे उनके मरने के […]

*’जन्नत’ में भी ये बेक़रारी क्यों हैं*                                                  कश्मीर के लिए निकलते वक़्त  दोस्त अनंत तिवारी ने कहा था कि पत्थरबाजों की मनोदशा समझ कर आना। जम्मू […]

  मातु शारदे! हंसवाहिनी भक्तों को वर दे, चले शुभ्र पथ सतत् निरंतर मन निर्मल  कर दे॥ वीणा बजे तेरा कर में भवानी मधुर-मधुर स्वर  से, जिस स्वर से बह चले प्रेम की गंगा घर-घर से॥ संस्कृति कला नैतिक मूल्यों  को रहे समर्पित मन, निष्ठा की रहे सदा प्रतिष्ठा हो […]

बेख़ौफ़ हो रही हैं पुतलियाँ किसलिए, दम तोड़ रही हैं सिसकियाँ किसलिएl जब हिन्दू भी अपने हैं,मुसलमां भी अपने, ख़ामोखां जल रही हैं बस्तियां किसलिएl इस फिजा में मिलाया है ज़हर किसने, बे-मौत मर रही हैं तितलियाँ किसलिएl इंसान तैरता पानी में,पंछी चलते ज़मीं पर, हवा में उड़ रही हैं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।