नाराज़ हैं मेहरबाँ मेरे अब आ भी जाओ कि अंजुमन को तेरी दरक़ार है ढूँढता रहा न मिला कोई तेरे जैसा कि महफ़िल तेरे बिना बेक़ार है तेरा लिहाज़ तेरी जुस्तजू तेरी आवाज़ में सुकूँ है कि तू इक अज़ीम फ़नकार है इब्तिदा होती नहीं बज़्म तेरी राह में निग़ाहें […]
rupesh
लोगों का क्या है समझते कम हैं बिना जरुरत समझाते ज्यादा हैं समय पर काम आने से कतराते हैं सलाह मुफ़्त है बिन मांगे दे जाते हैं सुनते रहो ऊल जलूल तो ठीक कुछ कहो तो बुरा मान जाते हैं दूसरे के कष्ट में आता है मजा भला चाहने का ढोंग कर जाते हैं कोशिश करता हैं कोई सुलझाने की बेवजह आकर चीजें उलझाते हैं लोगों का क्या है….. #डॉ रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 556
ना कुछ सोचो ना कुछ करो, क्योंकि चाय के प्यालों से होंठों का फासला हो गयी है जिंदगी। भूख से बिलखती रूहों को मत देखो शान-औ-शौकत के भोजों१ में खो गयी है जिंदगी। बस सहारा ढूढ़ते, सड़क पे फट गए जूतों से क्या सुबह शाम बदलती गाड़ियों का कारवाँ हो गयी है जिंदगी। तन पे फटे हुए कपडे मत देखो नए तंग मिनी स्कर्ट सी छोटी हो गयी है जिंदगी। पानी की तड़प भूल कर महगीं शराब की बोतलों में खो गयी है जिंदगी। फुटपाथ पे सोती हजारों निगाहों की कसक छोड़ के इक तन्हा बदन लिए, हजारों कमरों में सो गयी है जिंदगी। हजारों सवाल खामोश खड़े; बस सुलगती सिगरेट के धुएं सी हो गयी है जिंदगी। #डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 547
अपनी तमन्नाओं पे शर्मिंदा क्यूँ हुआ जाये एक हम ही नहीं जिनके ख़्वाब टूटे हैं इस दौर से गुजरे हैं ये जान-ओ-दिल संगीन माहौल में जख़्म सम्हाल रखे हैं नजर उठाई बेचैनी शर्मा के मुस्कुरा गयी ख़्बाब कुछ हसीन दिल से लगा रखे हैं दियार-ए-सहर१ में दर्द-शनास२ हूँ तो क्या बेरब्त उम्मीदों में ग़मज़दा और भी हैं अहद-ए-वफ़ा३ करके ‘राहत’ जुबां चुप है वर्ना आरजुओं के ऐवां४ और भी है शब्दार्थ: १. दियार-ए-सहर – सुबह की दुनियाँ २. दर्द-शनास – दर्द समझने बाला ३. अहद-ए-वफ़ा – प्रेम प्रतिज्ञा ४. ऐवां – महल # डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 554