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पेड़ की डाली से जब सारे के सारे पत्ते झड़ नीचे आ जाते, पेड़ की एक-एक डाली के ऊपर फूल लद जाते। खास मौसम में ही पलाश फूल खिलते, वैसे ही तुम भी आते मुझ पर फागुन का पाग पलाश के फूलों से बने लाल रंग से लगाने। अर्ध चँद्राकार […]

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राधा कृष्ण के बिन हमेशा आधी ही रही, पूर्णता के लिए वैवाहिक बंध चाहिए, जो उसे न मिल सका पर क्यों ? क्या द्वापर युग में राजा महराजा और उनकी प्रजा एक पत्नीधारी थे ? कोई उपपत्नियाँ नहीं रखते थे, क्या सवाल का कोई जबाब है ? प्रेयसी केवल प्रेम […]

न दिल में है,न मन में है, साल की हर याद,हमारे जेहन में हैl साल के आखरी महीने,और साल की अंतिम कड़ी, नए साल के आगमन में,बढ़ रही है घड़ीll क्रिसमस का है इंतजार, आने वाला है,नए साल का वारl नई उम्मीद,नए सफर की राह, है बस,नए संग की चाहll […]

हे पार्थ! मेरा अनुनय स्वीकार करो, मेरा थोड़ा भार तुम ले लो। जैसे मैंने तुम्हारा लिया है, माहवारी की पीड़ा नौ महीने की कोख, प्रसव की असहनीय पीड़ा शिशु को स्तनपान कराना, उनका लालन-पालन घर के कामकाज का भार, मेरे ही कंधों पर है… अब तो मैं बाहरी काज भी, […]

आज इश्क़ परवान चढ़ा है, देखो मोहब्बत,इज़हार होने चला है न धूप देखी है,न छांव की आस है, बस एक बहती नदी को किनारे की तलाश हैl  हर राह,कुर्बान होने चला है, देखो मोहब्बत,इजहार होने चला हैl  न उदासी की कहानी है, न अश्क़ रूहानी है मोहब्बत और कुछ नहीं, […]

हिना ही तो हूँ मैं, हिना हाथों पे अपना रंग छोड़ती है, मैं लोगों के चेहरे पे मुस्कान। वो भी खुद सिलबट्टे पे घिस-घिसकर पिस जाती, और मैं भी तुम्हारे इंतजार में रोज-रोज मिटकर, प्यार तो हम दोनों ही करते बस फ़र्क इतना है, कोई घिसकर तो रोज जीकर मरता। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।