पलाश के फूल

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kumari archana
पेड़ की डाली से जब
सारे के सारे पत्ते
झड़ नीचे आ जाते,
पेड़ की एक-एक डाली के
ऊपर फूल लद जाते।
खास मौसम में ही
पलाश फूल खिलते,
वैसे ही तुम भी आते
मुझ पर फागुन का पाग
पलाश के फूलों से बने
लाल रंग से लगाने।
अर्ध चँद्राकार पंखुड़ियाँ,
वैसे चाँद-सा तुम्हारा मुख
छटा लालवर्ण के फूलों की,
सूरज की किरणों से
स्वर्ण-सी आभा आती!
गहरे लाल फूल टेसू कहते
वैसे तुम भी मेरे टेसू हो,
जब गुस्से से तुम्हारा
चेहरा लाल लाल हो जाता।
पलाश को तलाश फूलों की रहती
और मुझे तुम्हारी।
वो भी ठूंठ पेड़-सा
मूक बना रहता,
और मैं पत्थर-सी
बेज़ान मूरत।
फूलों से यौवन हरा रहता,
गर्मी कहीं उड़न छू हो जाती
वैसे ही तुम्हारे होने से मेरी,
प्राणवायु दीर्धायु हो जाती॥
                                                #कुमारी अर्चना

परिचय: कुमारी अर्चना वर्तमान में राजनीतिक शास्त्र में शोधार्थी है। साथ ही लेखन जारी है यानि विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में निरंतर लिखती हैं। आप बिहार के जिला-पूर्णियाँ ( हरिश्चन्द्रपुर) की निवासी हैं।

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