हैं धन्य हरीश साल्वे जी, जो बने मसीहा भूषण के थूका है आज़ उन्होंने मुँह पर उस स्वराज के भूषण के। ये एक तमाचा ही समझो, पाकिस्तानी मंसूबों पर गहरा हो गया कुठाराघात पाकिस्तानी महबूबों पर। दुनिया देखे अब दौर नहीं, जब हम घुट-घुटकर जीते थे बेबस होते सबके आगे […]

जमीनी कार्यकर्ता से केन्द्रीय राज्यमंत्री बने अनिल माधव दवे की मृत्यु के सदमे की खबर में शानदार अभिनेत्री रीमा लागू के आकस्मिक निधन की खबर पर चर्चा थोड़ी कम हो पाई। लिहाजा इसे शब्दांजली ही समझें। अपनी माँ के अलावा रूपहले पर्दे की जिन मांओं को देखकर हमारी पीढ़ी बड़ी […]

आओ इन जीर्ण दरख्तों में थोड़ी-सी जान फूंकते हैं, इनके अंतस की पीड़ा को स्वर-लय दे आज़ हूँकते हैं। शायद कोई तो समझ सकेगा, दर्द मौन आशाओं का.. या फ़िर बन जाएगा कोई, अनुगामी अभिलाषाओं का। भू का कम्पन समझे कोई, आवेश समझ ले अम्बर का.. कुदरत की हर पीड़ा […]

पड़ गई सारी उल्टी चाल,किया दिल्ली ने गुरु घंटाल, हार गए यार केजरीवाल,बनाया ईवीएम को ढाल.. सत्तर में से सड़सठ लाए,चल गया झाडू,कूचा, सोच रहे थे जीत लिया है हिंदुस्तान समूचा.. अब उतरी केंचुली की खाल,ले गया फिरकी कैसे काल.. पड़ गयी सारी उल्टी चाल ——। सबको डरा रहे थे […]

मित्रों,आज विश्व रचनात्मकता दिवस पर बात अपने-अपने भीतर छुपी रचनात्मकता की। विधाता की सर्वश्रेष्ठ कृति के नाते हम सबमें कोई- न-कोई रचनात्मकता अवश्य छिपी है। आवश्यकता सिर्फ उसे पहचानने की है। रचनात्मकता सिर्फ लेखन,प्रकाशन,चित्रकारी,कलाकारी, अभिनय,गायन-वादन आदि तक ही सीमित नहीं है। इसका फलक इतना व्यापक है कि, उसे किसी एक […]

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कब तक यूँ श्वेत कपोतों की बिरियानी उन्हें खिलाओगे, कब तक घाटी के असुरों को वीरों का रक्त पिलाओगे। कब तक नापाक पड़ोसी की साजिश में फ़ंसते जाओगे, कब तक समझौतों को कर शहादतों पर हँसते जाओगे। अलगाववाद,आतंकवाद को अलग-अलग मत तौलो जी, वो भी तो आतंकी हैं अब छाती […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।