मां और पर्दे की मां

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devendr joshi
जमीनी कार्यकर्ता से केन्द्रीय राज्यमंत्री बने अनिल माधव दवे की मृत्यु के सदमे की खबर में शानदार अभिनेत्री रीमा लागू के आकस्मिक निधन की खबर पर चर्चा थोड़ी कम हो पाई। लिहाजा इसे शब्दांजली ही समझें। अपनी माँ के अलावा रूपहले पर्दे की जिन मांओं को देखकर हमारी पीढ़ी बड़ी हुई,उनमें लीला मौसी और निरुपा राय के बाद सबसे लोकप्रिय कड़ी थी अभिनेत्री रीमा लागू,जिसने हंसमुख और संवेदनशील मां के रूप में सबको खूब प्रभावित किया। अन्य अभिनेत्रियों ने भी मां के किरदार निभाए, लेकिन आम जनमानस के मन मस्तिष्क में अपनी माँ के बाद रुपहले पर्दे की मांओं की तस्वीर में ये तीनों प्रमुख रही।रीमा लागू की उम्र कोई अधिक नहीं थी,इसलिए उनके अचानक चले जाने से बालीवुड और उनके प्रशंसक सदमे में हैं। अपनी माँ को तो सभी याद करते हैं,लेकिन जिसने लगातार कई वर्षों तक सिनेमा के पर्दे पर मां का किरदार निभाकर हमें और लाखों-करोड़ों लोगों को हंसाया-रुलाया और हमारी संवेदनाओं को झकझोरा,वह रीमा लागू ही थी। उस फिल्मी मां के प्रति दो पल ठहर कर सादर नमन।

                                                                         #डॉ. देवेन्द्र  जोशी

परिचय : डाॅ.देवेन्द्र जोशी गत 38 वर्षों से हिन्दी पत्रकार के साथ ही कविता, लेख,व्यंग्य और रिपोर्ताज आदि लिखने में सक्रिय हैं। कुछ पुस्तकें भी प्रकाशित हुई है। लोकप्रिय हिन्दी लेखन इनका प्रिय शौक है। आप उज्जैन(मध्यप्रदेश ) में रहते हैं।

matruadmin

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